राखड़ जहां-तहां डंप होने से मुश्किल में ग्रामीण
पावर प्लांट से निकलने वाले राखड़ का सुरक्षित प्रबंधन कंपनी द्वारा किये जाने के बजाय कही भी डंप किये जाने को लेकर लोगों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है
जांजगीर। पावर प्लांट से निकलने वाले राखड़ का सुरक्षित प्रबंधन कंपनी द्वारा किये जाने के बजाय कही भी डंप किये जाने को लेकर लोगों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि राखड़ से पर्यावरण तो प्रदूषित हो रहा हैं। साथ ही सड़क, तालाब, खेत आदि में राखड़ डंप होने से निस्तारी की समस्या भी खड़ी हो गई है। इस गंभीर समस्या की शिकायत ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से की गई थी, लेकिन प्रशासन भी प्रबंधन के इस करतूत पर अंकुश लगाने कमजोर नजर आ रहा है। उधर प्रबंधन राखड़ डंप करने के आरोप को सिरे से खारिज कर रहा है।
डभरा क्षेत्र में 12 सौ मेगावाट का डीबी पावर प्लांट संचालित है। इस प्लांट से निकले राखड़ की समुचित निपटान की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में प्रबंधन राखड़ को आसपास के गांवों में खपा दे रहे हैं। इससे ग्रामीणों का जीवन प्रदूषण से मुहाल हो गया है। ग्रामीणों के मुताबिक डभरा के अलावा गोबराभाठा, छुइयाभाठा, बंजारी मेनरोड अड़भार, देवरघटा, पोरथा, डोंगिया सहित अन्य गांवों के तालाब, हैंडपंप, मुख्य मार्ग, खेत के साथ खाली जगह में राखड़ डंप कर दिया जा रहा है।
देवरघटा गांव के राजू साहू ने बताया कि उसके घर के पीछे कभी एक तालाब हुआ करता था, लेकिन डीबी पावर प्लांट के ट्रांसपोर्टर उस तालाब को राखड़ डालकर पाट दिया है। निस्तारी तालाब के पटने से ग्रामीणों को निस्तार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह उसकी निजी भूमि में एक हैंडपंप था, लेकिन उसे भी राखड़ से पाट दिया गया है। उसने बताया कि जब राखड़ डंप करने से मना किया तो उसे जान से मारने की धमकी तक दी गई। ग्राम खुंटादरहा में भी सड़क, खेत, तालाब आदि जगहों में राखड़ डंप कर दिया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क पर राखड़ डंप कर देने से आवागमन करना बेहद कठिन हो गया है। राखड़ से जब दो पहिया वाहन गुजरता है तो पीछे धूल का गुबार छा जाता है। ये राखड़ हवा में उड़कर पेयजल के अलावा घरों परत जमा रहा है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की गई है, लेकिन डीबी प्रबंधन के खिलाफ जिला प्रशासन भी कार्रवाई करने से कतरा रहा है। यही वजह है कि अब तक डीबी पावर के ट्रांसपोर्टरों की दादागिरी थमने का नाम नहीं ले रही है।
पंचायत से अनापत्ति नहीं
प्लांट से निकलने वाले राखड़ डंप करने के लिए संबंधित ग्राम पंचायत से प्रस्ताव व अनापत्ति लेना जरूरी होता है। मगर कंपनी के आला अधिकारी इसकी जरूरत ही नहीं समझ रहे हैं, जबकि किसी भी गांव में राखड़ डंप करने से पहले संबंधित पंचायत का प्रस्ताव लेने का प्रावधान है। ग्राम पंचायत खुंटादरहा के प्रतिनिधियों का कहना है कि उनके गांव के मुख्य मार्ग, तालाब, खेत आदि में बगैर पंचायत की जानकारी के राखड़ डंप कर दे रहे हैं। इससे गांव में तनाव का माहौल है। वहीं मामले की शिकायत पर भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
क्षेत्र के अनेक गांव प्रदूषण का शिकार
क्षेत्र के अनेक गांव अनियंत्रित रूप से राखड़ फेंके जाने से गांव के लोग परेशान है। जिनका कहना है कि वातावरण पूरी तरह प्रदूषित हो गया है। इसका मनुष्यों के साथ ही जानवरों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि राखड़ हवा में उड़कर सांस के जरिए फेफड़े में प्रवेश कर रहा है। इससे जहां सांस लेने में तकलीफ हो रही है, वहीं दमा, टीबी जैसी गंभीर बीमार के शिकार ग्रामीण होने लगे हैं। प्रदूषण से जानवर भी असमय काल के गाल में समा रहे हैं। दादागिरी के साथ राखड़ डंप करने से ग्रामीण भी सहमे
हुए हैं।
जांच कराई जायेगी-डीके सिंह
इस संबंध में अपर कलेक्टर डीके सिंह का कहना है कि शिकायत पर जांच कराई जायेगी। कोई भी कंपनी इस तरह अनियमितता नहीं कर सकती। जांच रिपोर्ट के बाद अगर दोषी पाया जाता है, तो प्रशासन निश्चित तौर पर कार्रवाई करेंगी।
पखवाड़े भर से राखड़ डंपिंग का काम बंद है- प्रबंधन
मनीष सिंह का कहना है कि बीते पखवाड़े भर से राखड़ डंप करने का काम बंद है। इसके पहले एक-दो मामले ऐसे हो सकते हैं। फिर भी किसी की शिकायत या ऑडियो-वीडियो है तो उपलब्ध कराया जा सकता है।


