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अशोक स्तंभ तोड़े जाने की घटना पर सुप्रिया सुले ने जताया दुख, सरकार से सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की मांग

श्रीनगर में अशोक स्तंभ तोड़े जाने की घटना को सांसद सुप्रिया सुले ने बेहद दुखद बताया। उन्होंने कहा कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय नेतृत्व और भारत सरकार दोनों को लेनी चाहिए

अशोक स्तंभ तोड़े जाने की घटना पर सुप्रिया सुले ने जताया दुख, सरकार से सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की मांग
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अशोक स्तंभ तोड़ने की घटना पर सुप्रिया सुले ने जताया दुख, सरकार से सुरक्षा की मांग

  • उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग पर आत्मचिंतन जरूरी: सुप्रिया सुले
  • गुप्त मतदान में नाम कैसे लीक हुए? सुप्रिया सुले ने उठाए सवाल

पुणे। श्रीनगर में अशोक स्तंभ तोड़े जाने की घटना को सांसद सुप्रिया सुले ने बेहद दुखद बताया। उन्होंने कहा कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय नेतृत्व और भारत सरकार दोनों को लेनी चाहिए। सब मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महाराष्ट्र और पूरे देश में शांति और अमन बना रहे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 'भारत महान देश है और पीएम मोदी अच्छे मित्र हैं' कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा कि हर देश और हर राज्य के बीच हमेशा संवाद होना चाहिए। यही तो कूटनीति (डिप्लोमेसी) है। टैरिफ से जुड़ी दिक्कतों पर भी भारत और अमेरिका के बीच बातचीत होनी चाहिए, तभी कोई ठोस निर्णय निकल सकता है।

वहीं उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत पर उन्होंने सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हम नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति को बहुत-बहुत बधाई देते हैं। एक सशक्त लोकतंत्र में कोई जीतता है, कोई हारता है। अब जब उनकी जीत हुई है तो अपेक्षा है कि वह उस पद की गरिमा बनाए रखते हुए संविधान के अनुरूप देश और राज्यसभा का संचालन करें।

इस दौरान सुप्रिया सुले ने इंडिया अलायंस के सांसदों की ओर से की गई क्रॉस वोटिंग को लेकर कहा कि हमें आत्मचिंतन करना पड़ेगा। क्रॉस वोटिंग वास्तव में कितनी हुई है, इसका आकलन करना जरूरी है। क्योंकि वोटिंग गुप्त मतदान (सीक्रेट बैलेट) से हुई है, इसलिए किसने किस तरह से मतदान किया, यह पता लगाना कठिन है। लेकिन यह स्वीकार करना होगा कि हमें आत्मचिंतन करना चाहिए कि यह क्यों और कैसे हुआ।

साथ ही सुप्रिया सुले ने पूरे वोटिंग प्रोसेस में जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि कई आरोप मीडिया में आ रहे हैं और कुछ नाम भी लिए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब मतदान गुप्त था तो नाम बाहर कैसे आए? अगर यह सही है तो यह गंभीर चिंता का विषय है। पहले तो हमें आधिकारिक तौर पर आरोप सुनने चाहिए। यदि आरोप सही और आधिकारिक हैं तो उनकी जांच जरूर होनी चाहिए। लेकिन यह समझना होगा कि सीक्रेट बैलेट में नाम सार्वजनिक कैसे हुए।


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