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प्रियंका चतुर्वेदी का आरोप : सहयोगी दलों को कमजोर करना भाजपा की रणनीति

शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी दलों के प्रति नीति और भारत की विदेश नीति को लेकर तीखी टिप्पणी की

प्रियंका चतुर्वेदी का आरोप : सहयोगी दलों को कमजोर करना भाजपा की रणनीति
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शिवसेना सांसद का हमला- भाजपा वर्चस्व चाहती है, सहयोग नहीं

  • एसआईआर पर प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाए सवाल, मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप
  • विदेश नीति पर प्रियंका चतुर्वेदी की टिप्पणी- शांति प्रयासों का स्वागत, तालिबान शासन पर चिंता
  • प्रियंका चतुर्वेदी का बयान: संविधान, लोकतंत्र और महिला सशक्तीकरण की अनदेखी चिंताजनक

मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी दलों के प्रति नीति और भारत की विदेश नीति को लेकर तीखी टिप्पणी की।

उन्होंने कहा कि बिहार में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम भाजपा की पुरानी रणनीति का हिस्सा हैं, जिसमें वह पहले सहयोगी दलों की शक्ति बढ़ाती है और फिर उन्हें कमजोर कर खत्म कर देती है। महाराष्ट्र में शिवसेना को सत्ता से हटाने के बाद संविधान की अनदेखी कर तोड़फोड़ की गई, जो 25 साल तक भाजपा की सहयोगी रही। यही तरीका उन्होंने रामविलास पासवान की पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के साथ भी अपनाया। भाजपा सहयोग नहीं, बल्कि वर्चस्व स्थापित करना चाहती है।

उन्होंने एसआईआर के मुद्दे पर बात करते हुए मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जिस तरह एसआईआर लागू की गई और जिस पर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, उससे साबित होता है कि विपक्ष समर्थक वोटर सेक्शन को रणनीतिक रूप से हटाया जा रहा है। महाराष्ट्र में भी बिना नाम लिए वोटर्स की जोड़तोड़ की गई, जिसके खिलाफ अब भी लड़ाई जारी है। ऐसी ही स्थिति ओडिशा, हरियाणा और दिल्ली में भी दिखी, जहां बीजेडी और आम आदमी पार्टी ने इसका अनुभव किया। अगर यही प्रक्रिया पश्चिम बंगाल में भी अपनाई जा रही है, तो यह एक सुनियोजित साजिश लगती है और आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े करती है।

विदेश नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इजरायल-फिलीस्तीन दोनों के साथ हमारे राजनयिक संबंध हैं। पश्चिम एशिया में दो वर्षों से चल रहे संघर्ष के बीच अगर अब शांति समझौते की दिशा में कदम उठ रहे हैं, तो उसका स्वागत होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इजरायल की हर कार्रवाई का मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय संस्थान जैसे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ लॉ और संयुक्त राष्ट्र करे। भारत ने हमेशा गाजा के लोगों को चिकित्सा और खाद्य सहायता दी है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस शांति प्रयास पर भी नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है।

अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर सांसद ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के संबंध लंबे, गहरे और सहयोगपूर्ण रहे हैं। मुश्किल परिस्थितियों में भी भारत ने अफगानिस्तान की जनता की मदद की है, यहां तक कि उनकी क्रिकेट टीम को भी समर्थन दिया। लेकिन, तालिबान शासन के तहत महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियां चिंताजनक हैं। यह सरकार देश को फिर से पिछड़ी सोच की ओर ले जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र, संविधान और समानता के सिद्धांतों पर आधारित है, इसलिए यह विचार करना जरूरी है कि क्या ऐसे शासन के साथ स्थायी सहयोग संभव है, जहां महिला सशक्तीकरण की अनदेखी हो रही है।


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