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विपक्ष को मुद्दे संसद के भीतर उठाने चाहिए, बाहर नहीं : शाइना एनसी

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार को हो गई। इस बीच शिवसेना प्रवक्ता शाइना एनसी ने कहा कि विपक्ष को महत्वपूर्ण मुद्दे संसद के अंदर उठाने चाहिए न कि संसद के बाहर

विपक्ष को मुद्दे संसद के भीतर उठाने चाहिए, बाहर नहीं : शाइना एनसी
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शिवसेना प्रवक्ता ने विपक्ष को दी नसीहत- संसद में करें चर्चा, नकारात्मक टिप्पणी से बचें

  • शीतकालीन सत्र पर शाइना एनसी का तंज: गंभीर मुद्दे संसद में ही उठें
  • राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए शाइना एनसी बोलीं- भारत के सम्मान की चर्चा संसद में हो
  • मौलाना मदनी पर शाइना एनसी का हमला- ‘गुमराह करने वाले पाकिस्तान चले जाएं’

मुंबई। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार को हो गई। इस बीच शिवसेना प्रवक्ता शाइना एनसी ने कहा कि विपक्ष को महत्वपूर्ण मुद्दे संसद के अंदर उठाने चाहिए न कि संसद के बाहर।

शिवसेना नेता शाइना एनसी ने कहा, "विपक्ष को कोई भी मुद्दा उठाना है तो वह संसद के अंदर उठाए, न कि संसद के बाहर। सरकार कई महत्वपूर्ण बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में लाने वाली है। एसआईआर को लेकर जो सवाल होंगे, उनके भी जवाब दिए जाएंगे। न्यूक्लियर से जुड़े बिल, जहां प्राइवेट पार्टनरशिप लाना जरूरी है, उच्च शिक्षा समेत कई महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा होगी। मेरे हिसाब से संसद में चर्चा करनी चाहिए और नकारात्मक टिप्पणी से सभी को बचना चाहिए।"

उन्होंने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर संसद सत्र में भाग लेने को लेकर कहा, "राहुल गांधी स्कूल में आ रहे हैं और छुट्टी मनाने विदेश नहीं गए, यह बड़ी बात है। वह संसद के अंदर गंभीर मुद्दे रख सकते हैं। जहां तक भारत के सम्मान की बात है, उन्हें संसद के अंदर चर्चा करनी चाहिए न कि संसद के बाहर।"

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के जिहाद पर दिए हालिया विवादित बयान पर शाइना एनसी ने निशाना साधते हुए कहा, "मदानी कौन है? जब वे बड़बड़ करते हैं, लोगों को गुमराह करते हैं और खुद को समाज के ठेकेदार मानते हैं, तो उन्हें उसी निष्ठा के साथ अपना बैग पैक करके पाकिस्तान चले जाना चाहिए और वहां से चर्चा करनी चाहिए।"

उन्होंने कहा, "कभी-कभी वे लव जिहाद और लैंड जिहाद पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, कभी न्यूयॉर्क और लंदन में मुस्लिम मेयर पर आपत्ति जताते हैं। उन्हें इस पर विचार करना चाहिए कि भारत में उन्होंने खास समुदाय के लोगों को नेतृत्व में बढ़ाया या नहीं, सिर्फ वोट बैंक तक सीमित क्यों रखा? वे तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हैं। जहां पर महिलाओं का सम्मान होता है, वहां पर उन्हें आपत्ति होती है। जब उनके कौम को लाभार्थी के रूप में फायदा मिलता है तो भी दिक्कत होती है।"


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