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बाढ़ पीड़ित किसानों को राहत नहीं, सरकार सोई हुई है : संजय मोरे

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय मोरे ने महाराष्ट्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राज्य के बाढ़ प्रभावित किसानों की हालत बेहद दयनीय है

बाढ़ पीड़ित किसानों को राहत नहीं, सरकार सोई हुई है : संजय मोरे
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किसानों की तबाही पर सरकार खामोश, शिवसेना (यूबीटी) का तीखा हमला

  • संजय मोरे बोले- खेत उजड़े, घर टूटे, सरकार सिर्फ तस्वीरें छपवा रही है
  • किसानों को चाहिए न्याय, प्रति हेक्टेयर 50 हजार की मांग: शिवसेना (यूबीटी)
  • मोरे का सवाल- उद्धव सरकार ने राहत दी थी, फडणवीस सरकार क्यों नहीं दे रही?

मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय मोरे ने महाराष्ट्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राज्य के बाढ़ प्रभावित किसानों की हालत बेहद दयनीय है, लेकिन सरकार उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। मोरे ने आरोप लगाया कि किसानों की मेहनत से सत्ता में आई सरकार आज उन्हीं किसानों को संकट की घड़ी में अकेला छोड़ चुकी है।

उन्होंने कहा कि किसानों के खेत नष्ट हो चुके हैं, पशुधन बह गए हैं, घर टूट गए हैं और जो गाय-बैल खेती में उनकी मदद करते थे, वे भी मर चुके हैं। किसानों का पूरा जीवन तबाह हो गया है, फिर भी राज्य और केंद्र सरकार दोनों चुप हैं। आखिर किसानों की मदद के लिए इनके पास पैसे नहीं हैं क्या?

मोरे ने कहा कि बाढ़ के कारण आज हजारों किसान भारी विपत्ति में हैं, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह सरकार किसानों के खातों में मदद भेजने की बजाय अपने नाम और तस्वीरें अखबारों में छपवाने में ज्यादा रुचि रखती है।

संजय मोरे ने कहा कि जब महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में थी और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की सीधे उनके बैंक खातों में सहायता राशि जमा कर मदद की थी।

उन्होंने सवाल उठाया कि उद्धव ठाकरे जब किसानों तक सीधी राहत पहुंचा सकते हैं, तो देवेंद्र फडणवीस सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती?

शिवसेना (यूबीटी) नेता ने सरकार से मांग की कि किसानों को उनके नुकसान की वास्तविक भरपाई मिले। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रति हेक्टेयर 50 हजार की आर्थिक सहायता किसानों के खातों में सीधे जमा करनी चाहिए। साथ ही, किसानों के ऊपर जो कर्ज का बोझ है, उसे माफ किया जाना चाहिए।

मोरे ने कहा कि आज किसानों को सिर्फ राहत की नहीं, बल्कि न्याय की आवश्यकता है। किसानों को उनका हक मिलना चाहिए। उनका घर, उनका खेत और उनका पशुधन उन्हें वापस पाने का अधिकार है। जब तक सरकार किसानों की पीड़ा को नहीं समझेगी, तब तक महाराष्ट्र के गांवों में विकास की बात अधूरी ही रहेगी।


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