मराठा आंदोलन: मनोज जरांगे से बातचीत के बाद प्रतिनिधिमंडल विखे-पाटिल के घर पहुंचा, बैठक जारी
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन कालीन अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की

मनोज जरांगे से मुलाकात के बाद विखे-पाटिल के बंगले पर बैठक शुरू
- मराठा आरक्षण पर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच फिर से संवाद
- मुंबई में प्रदर्शनकारियों को भोजन-पानी की भारी कमी, आक्रोश बढ़ा
- दौंड तालुका के मराठा नेताओं ने आंदोलन को बताया न्याय की लड़ाई
- विखे-पाटिल ने विपक्ष को घेरा, कहा आलोचना से नहीं मिलेगा आरक्षण
- सरकारी समिति ने जस्टिस शिंदे और अन्य अधिकारियों से चर्चा की तैयारी
मुंबई। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन कालीन अनशन पर बैठे मनोज जरांगे से प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री और मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष राधाकृष्ण विखे-पाटिल से मिलने उनके रॉयल स्टोन बंग्लो पर पहुंचा। इस मुद्दे पर एक बार फिर बैठक चल रही है।
वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के नेता अंबादास दानवे और महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता नसीम खान अनशन पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल से मिलने पहुंचे।
दौंड तालुका के मराठा समुदाय के नेताओं ने भी मनोज जरांगे का समर्थन किया है और मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग शुरू कर दी। हालांकि, मुंबई गए मराठा प्रदर्शनकारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही भोजन की। मराठा प्रदर्शनकारियों की स्थिति बदतर हो गई है, इसलिए अब मराठा समुदाय में आक्रोश है।
इस आंदोलन के दौरान, मराठा महासंघ के शहर अध्यक्ष शैलेंद्र पवार ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समय-समय पर आश्वासन देते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई ठोस विकल्प नहीं ढूंढा जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन 1980 से शुरू हुआ है, लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया, इसलिए प्रशासन से अनुरोध है कि मराठा आरक्षण पर कोई समाधान निकाला जाए और समुदाय को जल्द से जल्द आरक्षण दिया जाए।
इससे पहले, महाराष्ट्र के मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने कहा था कि सिर्फ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना करने से आरक्षण का मुद्दा हल नहीं होगा। उन्होंने पिछली सरकारों को घेरते हुए कहा कि महा विकास अघाड़ी नेताओं को सरकार को सिर्फ सलाह देने के बजाय मराठा समुदाय को आरक्षण न देने के लिए प्रायश्चित करना चाहिए। सरकार का भी यही मानना है कि इस मुद्दे का समाधान होना चाहिए, इसलिए जस्टिस शिंदे, कोंकण के संभागीय आयुक्त, और हमारी समिति के सदस्य सचिव इन सभी मुद्दों पर उनसे चर्चा करने वाले हैं।


