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महाराष्ट्र विधानसभा ने ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेंस को बढ़ाने के लिए पास किया बिल

राज्य विधानसभा ने महाराष्ट्र जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) एक्ट, 2025 को बिना किसी विरोध के पास कर दिया। इसका मकसद राज्य में रहने और व्यवसाय करने में आसानी के लिए ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेंस को और बेहतर बनाना तथा विभिन्न राज्य कानूनों के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाकर उन्हें तर्कसंगत बनाना है

महाराष्ट्र विधानसभा ने ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेंस को बढ़ाने के लिए पास किया बिल
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नागपुर। राज्य विधानसभा ने बुधवार को महाराष्ट्र जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) एक्ट, 2025 को बिना किसी विरोध के पास कर दिया। इसका मकसद राज्य में रहने और व्यवसाय करने में आसानी के लिए ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेंस को और बेहतर बनाना तथा विभिन्न राज्य कानूनों के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाकर उन्हें तर्कसंगत बनाना है।

यह बिल सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आशीष शेलार ने पेश किया।

बिल में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को दंडात्मक (क्रिमिनल पेनल्टी) तरीके से बदलकर ट्रस्ट और सिविल पेनल्टी आधारित बनाने, नियमित, तकनीकी या प्रक्रियात्मक नियमों का पालन न करने पर कम्प्लायंस का बोझ, मुकदमेबाजी और गैर-जरूरी क्रिमिनल पेनल्टी को कम करने तथा पेनल्टी फ्रेमवर्क को आधुनिक और तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव है, ताकि अधिक भरोसेमंद और व्यवसाय–अनुकूल निवेश माहौल बन सके।

बिल में छोटे और तकनीकी उल्लंघनों के लिए जेल के प्रावधानों को सिविल पेनल्टी या जुर्माने से बदलने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य न्यायिक और प्रवर्तन एजेंसियों को राहत देना तथा नागरिकों और व्यवसायों के लिए लागत कम करना है।

बिल में कहा गया है, “राज्य सरकार ऐसे छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए सजा को सिविल पेनल्टी से बदलना चाहती है, ताकि अदालतों पर बोझ कम हो और प्रशासनिक दक्षता बढ़े। सार्वजनिक व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, जान या सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे वाले अपराधों को बरकरार रखा गया है, जबकि छोटे-मोटे नॉन-कम्प्लायंस, प्रक्रिया में चूक और पुरानी रेगुलेटरी आवश्यकताओं से जुड़े अपराधों को अपराध-मुक्त (डीक्रिमिनलाइज) किया गया है। इसके अलावा, जुर्माना जैसी सजाओं को संशोधित और युक्तिसंगत बनाया गया है।”

बिल में महाराष्ट्र शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट्स (रेगुलेशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 2017; महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल रिलेशंस एक्ट, 1946; महाराष्ट्र स्टैम्प ड्यूटी एक्ट, 1958; महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल एक्ट; महाराष्ट्र रिकग्निशन ऑफ ट्रेड यूनियन्स एंड प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर लेबर प्रैक्टिसेस एक्ट, 1971; महाराष्ट्र स्टेट टैक्स ऑन प्रोफेशन्स, ट्रेड्स, कॉलिंग्स एंड एम्प्लॉयमेंट्स एक्ट, 1975 तथा महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव है।

एनसीपी (एसपी) विधायक और पूर्व वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने बिल का स्वागत किया, लेकिन मांग की कि सरकार को उन निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक और बिल भी पेश करना चाहिए, जिन्हें अभी भी विभिन्न समूहों से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने दावा किया कि नया कानून निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और निवेश आकर्षित करने में महाराष्ट्र की स्थिति को और मजबूत करने में मदद करेगा।

अपने जवाब में, मंत्री शेलार ने कहा कि सरकार निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि जन विश्वास एक्ट नागरिकों और निवेशकों के लिए व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने कहा, “यह प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और महाराष्ट्र में उद्यमिता तथा आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक संरचनात्मक सुधार का हिस्सा है।”

बिल के अनुसार, विकसित महाराष्ट्र विजन का एक मुख्य हिस्सा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में सुधार करना है ताकि दंडात्मक और भारी-भरकम कम्प्लायंस सिस्टम को भरोसे पर आधारित सुगम गवर्नेंस मॉडल में बदला जा सके।

बिल में कहा गया है, “बहुत ज्यादा रेगुलेशन, छोटे और तकनीकी प्रकार के चूक तथा प्रक्रियात्मक नॉन-कम्प्लायंस के अपराध व्यवसाय, नागरिकों और राज्य पर भारी लागत डालते हैं। ऐसे प्रावधान न केवल उद्यमिता और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ तथा ‘ईज ऑफ लिविंग’ में बाधा डालते हैं, बल्कि न्यायिक प्रणाली पर भी अनावश्यक बोझ डालते हैं और प्रशासनिक दक्षता कम करते हैं।”


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