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सीजेआई ने फिडे महिला विश्व कप 2025 की विजेता दिव्या देशमुख से मुलाकात कर दी बधाई

फिडे महिला विश्व कप 2025 की विजेता दिव्या देशमुख से शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने मुलाकात की

सीजेआई ने फिडे महिला विश्व कप 2025 की विजेता दिव्या देशमुख से मुलाकात कर दी बधाई
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मुंबई। फिडे महिला विश्व कप 2025 की विजेता दिव्या देशमुख से शनिवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने मुलाकात की। गवई ने दिव्या देशमुख की उपलब्धि की सराहना की और उन्हें बधाई दी।

दिव्या ने हाल ही में जॉर्जिया के बटुमी में संपन्न हुए टूर्नामेंट में अपनी हमवतन और अनुभवी कोनेरू हम्पी को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। दिव्या देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर और चौथी भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर बनीं हैं। दिव्या फिडे महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला और ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी भी बनीं। उनके इस उपलब्धि की देशभर में चर्चा हो रही है।

भारत के 52वें और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मेरे अपने घर की एक बेटी ने देश को गौरवान्वित किया है, और मुझे लगता है कि यह मेरे परिवार के लिए बहुत सम्मान की बात है। इस खास मौके पर मैं दिव्या को शुभकामनाएं देने आया हूं। उनकी उपलब्धि ने हम सभी को गौरवान्वित किया है। दिव्या की उपलब्धि को मैं अपने परिवार की उपलब्धि की तरह मान रहा हूं। देशमुख परिवार के साथ हमारे 50-60 साल पहले से संबंध हैं।"

सीजेआई से मुलाकात के बाद दिव्या देशमुख ने भी खुशी जताई। उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुश और सौभाग्यशाली हूं कि भारत के मुख्य न्यायाधीश हमारे घर में आए। मुझे पता चला कि हमारे परिवार के पर्सनल रिलेशन हैं। हमने उनका स्वागत किया और उन्होंने हमें बधाई दी।"

इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को नागपुर में 'नागरी सम्मान सोहाला' समारोह में दिव्या देशमुख को 3 करोड़ रुपए के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया। वहीं, शुक्रवार को केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने नई दिल्ली में फिडे महिला विश्व कप 2025 की विजेता दिव्या देशमुख और उपविजेता कोनेरू हम्पी को सम्मानित किया था।

उल्लेखनीय है कि 5 से 28 जुलाई तक आयोजित फिडे महिला विश्व कप 2025 में 19 वर्षीय दिव्या देशमुख और अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी के बीच ऐतिहासिक अखिल भारतीय फाइनल हुआ। यह पहली बार था जब दो भारतीय महिलाएं फाइनल में पहुंची थीं। वहीं, यह भारत का पहला महिला विश्व कप खिताब था।


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