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मंडनगढ़ कोर्ट भवन का उद्घाटन करेंगे सीजेआई बीआर गवई : न्यायिक व्यवस्था को मिलेगा नया आयाम

महाराष्ट्र में रत्नागिरी जिले के मंडनगढ़ स्थित सिविल और आपराधिक न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन 12 अक्टूबर को किया जाएगा

मंडनगढ़ कोर्ट भवन का उद्घाटन करेंगे सीजेआई बीआर गवई : न्यायिक व्यवस्था को मिलेगा नया आयाम
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न्याय तक आसान पहुंच की दिशा में बड़ा कदम: मंडनगढ़ कोर्ट का उद्घाटन 12 अक्टूबर को

  • मंडनगढ़ में न्यायिक ढांचे को मजबूती, सीजेआई गवई करेंगे नए कोर्ट भवन का शुभारंभ

रत्नागिरी। महाराष्ट्र में रत्नागिरी जिले के मंडनगढ़ स्थित सिविल और आपराधिक न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन 12 अक्टूबर को किया जाएगा। इसका उद्घाटन सीजेआई बीआर गवई करेंगे। यह जानकारी उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दी।

कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, दोनों उपमुख्यमंत्री, बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य कोर्ट के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।

उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि मंडनगढ़ में न्यायालय की स्थापना महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात है। यह कार्यक्रम महाराष्ट्र की न्यायिक व्यवस्था को मजबूती देने और सम्मान प्रदान करने वाला होगा।

मंडनगढ़ कोर्ट का उद्घाटन महाराष्ट्र की न्यायिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उदय सामंत ने कहा कि यह सिर्फ एक भवन का उद्घाटन नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता और जनता के न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है।

इस बीच, जैन धार्मिक सभा में कबूतरखानों को लेकर उठी चर्चाओं के बाद सरकार ने अपना स्पष्ट दृष्टिकोण रखा है। विधानसभा में सरकार ने स्पष्ट किया कि कबूतरखानों को बंद करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसके साथ ही नागरिकों से अपील की गई कि वे कोई गलतफहमी न फैलाएं, विशेषकर आगामी स्थानीय स्वशासन चुनावों के समय।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि हर नागरिक का चुनाव में भाग लेने का अधिकार सुरक्षित है और इस पर प्रतिबंध लगाने की सरकार की कोई मंशा नहीं है।

सरकार ने जोर देकर कहा कि इस तरह की अफवाहें पूरी तरह निराधार हैं। नागरिकों को सही जानकारी देना और उन्हें भ्रमित होने से बचाना सरकार की प्राथमिकता है।

गौरतलब है कि शनिवार को मुंबई में जैन समाज ने कबूतरखाने बंद करने के विरोध में शोकसभा आयोजित की। इस दौरान 'कबूतर बचाव धर्म सभा' का आयोजन किया गया, जिसमें कबूतरखानों के बंद होने से जान गंवाने वाले कबूतरों के लिए शोक जताया गया । सभा में कई प्रमुख जैन मुनि भी उपस्थित रहे।


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