महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का दिया जवाब, कहा- हिंसा की योजना में शामिल थे कार्यकर्ता
महाराष्ट्र पुलिस ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि भीमा कोरेगांव मामले में 28 अगस्त को गिरफ्तार पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर हिंसा की योजना बनाने में शामिल थे

नयी दिल्ली। महाराष्ट्र पुलिस ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि भीमा कोरेगांव मामले में 28 अगस्त को गिरफ्तार पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर हिंसा की योजना बनाने में शामिल थे।
महाराष्ट्र पुलिस ने शीर्ष अदालत के नोटिस के जवाब में दायर हलफनामे में यह आरोप लगाये हैं।
इतिहासकार रोमिला थापर सहित पांच लोगों ने शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर करके इन आरोपियों -प्रोफेसर सुधा भारद्वाज, वामपंथी विचारक वरवर राव, वकील अरुण फरेरा, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और वेरनन गोंजाल्विस की गिरफ्तारियों को चुनौती दी है।
पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि खुद आरोपियों के याचिका दायर करने के बजाय अन्य लोगों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत को इस मामले में सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
महाराष्ट्र पुलिस के एक अधिकारी की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि पांचों गिरफ्तार आरोपी समाज में अफरातफरी मचाने के प्रयास में थे। वे हिंसा फैलाने के नापाक इरादों का हिस्सा हैं।
पुलिस ने कहा है कि इन पांचों के खिलाफ भरोसेमंद सबूत मिले हैं, तभी इनकी गिरफ्तारी की गई है। इन्हें सरकार से मतभेद या असहमति जताने पर गिरफ्तार नहीं किया गया है।
पुलिस का कहना है कि वह इन आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करना चाहती है। उल्लेखनीय है कि गत 29 अगस्त को शीर्ष अदालत ने गिरफ्तार पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को नजरबंद करने का आदेश दिया था।


