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महाराष्ट्र विवाद : शिंदे समर्थक विधायक कडू ने राणा को माफ किया, पर कहा- भूलेंगे नहीं

स्थानीय राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी युवा स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा के साथ विवाद सुलझाने आए प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समर्थक पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने मंगलवार को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक विशाल जुलूस और रैली के साथ अपनी ताकत दिखाई

महाराष्ट्र विवाद : शिंदे समर्थक विधायक कडू ने राणा को माफ किया, पर कहा- भूलेंगे नहीं
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अमरावती। स्थानीय राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी युवा स्वाभिमान पार्टी के विधायक रवि राणा के साथ विवाद सुलझाने आए प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समर्थक पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने मंगलवार को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक विशाल जुलूस और रैली के साथ अपनी ताकत दिखाई। उन्हें फिर से मंत्री बनाने की उठ रही मांग के बीच कडू ने राणा के साथ विवाद पर सोमवार देर रात अपनी कोर टीम के साथ चर्चा की और आखिरकार एक सशर्त संघर्ष विराम के लिए सहमत होने का फैसला किया।

कडू ने अपने समर्थकों की जयकारों के बीच राणा को चेतावनी दी, "यह पहली बार है .. इसलिए हम आपको माफ कर रहे हैं। लेकिन अगली बार यदि आप हमारे रास्ते को पार करते हैं, तो हम आपको छोड़ेंगे नहीं।"

चेतावनी देने के बाद कडू ने अपने विरोधियों को भी यह कहते हुए चुनौती दी कि उनकी पार्टी कायरों की नहीं, बल्कि सख्त लड़ाकों की पार्टी है, जो अवसर आने पर स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ेगी।

कडू ने अपने विरोधियों को चेतावनी दी, "चूंकि यह आपकी पहली गलती है, हम आपको माफ कर देते हैं। लेकिन अगर आप फिर से हमला करते हैं, तो हम पूरी ताकत से जवाबी हमला करेंगे। मैं महात्मा गांधी के आदर्शो का सम्मान करता हूं, लेकिन मेरे विचारों में भगत सिंह हैं, इसलिए आपको अपने शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए।"

निर्दलीय विधायक ने परोक्ष रूप से धमकी भी दी कि वह और उनका गुट सरकार (मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे-डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की) का समर्थन कर रहे हैं, अगर वे नहीं चाहते हैं तो वह कभी भी समर्थन वापस ले सकते हैं, क्योंकि वह विचारधारा में विश्वास करते हैं, किसी राजनीतिक दल में नहीं।

विधायक कडू और राणा, दोनों अमरावती के रहने वाले हैं। दोनों के बीच विवाद एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया था कि कडू ने शिंदे सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी तक दे दी थी। बाद में शिंदे-फडणवीस ने मध्यस्थता कर दोनों में सुलह कराया।

राणा ने जून में कडू पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि उन्होंने शिवसेना के शिंदे गुट को समर्थन देने के लिए '50 खोखा' (50 करोड़ रुपये) लिए थे। तत्कालीन शिवसेना में विभाजन के कारण महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी।

कडू ने राणा को 1 नवंबर तक अपना आरोप साबित करने की चुनौती दी थी और शिंदे-फडणवीस को राणा के आरोप पर सफाई देने के लिए अल्टीमेटम भी दिया। उन्होंने कहा था कि अगर सफाई नहीं दी गई तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।

पत्रकारों के पूछे जाने पर शिंदे ने कहा कि चूंकि दोनों एक ही जिले से हैं, इसलिए कुछ स्थानीय मुद्दे थे, जिन्हें हल करने की जरूरत थी। उन्होंने कडू और राणा दोनों से अलग-अलग मुलाकात की। पिछले सप्ताहांत में दोनों मुंबई में फडणवीस से भी मिले थे।

सोमवार को बैठक के बाद राणा ने कहा था, "मैं अपना बयान वापस लेता हूं। कडू को भी ऐसा ही करना चाहिए।"

कडू उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री थे और बागी गुट में शामिल होने वाले शुरुआती लोगों में से हैं, जबकि राणा और उनकी पत्नी सांसद नवनीत कौर-राणा अप्रैल 2022 में ठाकरे के निजी आवास के बाहर हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा से उपजे विवाद के कारण सुर्खियों में आई थीं।


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