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महाराष्ट्र : नासिक में खरीफ सीजन को लेकर कृषि मंत्री माणिक राव कोकाटे ने की अहम बैठक

महाराष्ट्र के नासिक में राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के नेतृत्व में जिला स्तरीय खरीफ सीजन सार्वजनिक बैठक का आयोजन किया गया

महाराष्ट्र : नासिक में खरीफ सीजन को लेकर कृषि मंत्री माणिक राव कोकाटे ने की अहम बैठक
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नासिक। महाराष्ट्र के नासिक में राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के नेतृत्व में जिला स्तरीय खरीफ सीजन सार्वजनिक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में खरीफ सीजन के दौरान किसानों की समस्याओं और आवश्यकताओं पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक में जिले के वरिष्ठ अधिकारी, किसान प्रतिनिधि और अन्य लोग शामिल हुए।

मंत्री माणिकराव कोकाटे ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार खरीफ सीजन के लिए किसानों को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसानों को समय पर बीज, उर्वरक और अन्य जरूरी सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।

कोकाटे ने कहा, “हमारे किसान भाइयों को खाद, बीज और अन्य आवश्यक चीजों की कोई कमी नहीं होगी। कृषि विभाग के अधिकारी पूरी तरह तैयार हैं और आपूर्ति व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है। हम किसानों को हर संभव सहयोग देने के लिए तत्पर हैं। सरकार का लक्ष्य न केवल उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि किसानों की आय को दोगुना करना भी है।”

उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। मैं किसानों से अपील करूंगा कि वे किसी भी समस्या के लिए स्थानीय कृषि अधिकारियों से संपर्क करें, ताकि त्वरित समाधान हो सके। सरकार ने खरीफ सीजन के लिए विशेष योजनाएं तैयार की हैं, जिनका लाभ किसानों को जल्द मिलेगा।

बैठक में उपस्थित किसान प्रतिनिधियों ने जल संकट, फसल बीमा और बाजार मूल्य जैसे मुद्दों को उठाया। जिसके बाद मंत्री माणिकराव कोकाटे ने इन सभी बिंदुओं पर विचार करने का आश्वासन देते हुए कहा कि सरकार हमेशा किसानों के साथ खड़ी है और उनके हितों की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

आपको बता दें, नासिक महाराष्ट्र का एक प्रमुख कृषि केंद्र है, जो अंगूर, प्याज, टमाटर, और अन्य फसलों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। नासिक में खरीफ सीजन की सफलता काफी हद तक मानसून पर निर्भर करती है और हाल के वर्षों में अनियमित बारिश और जल संकट ने किसानों के लिए चुनौतियां बढ़ाई हैं।


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