Top
Begin typing your search above and press return to search.

महाराष्ट्र : इस वर्ष आत्‍महत्‍या करने वाले 40 फीसदी किसान अमरावती डिवीजन से

एक चौंकाने वाले खुलासे में महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने गुरुवार को कहा कि इस साल 1 जनवरी से 31 जुलाई के बीच दर्ज किए गए 1,555 किसानों की आत्महत्याओं में से सबसे ज्यादा 637 अकेले अमरावती डिवीजन से रिपोर्ट की गईं

महाराष्ट्र : इस वर्ष आत्‍महत्‍या करने वाले 40 फीसदी किसान अमरावती डिवीजन से
X

मुंबई। एक चौंकाने वाले खुलासे में महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने गुरुवार को कहा कि इस साल 1 जनवरी से 31 जुलाई के बीच दर्ज किए गए 1,555 किसानों की आत्महत्याओं में से सबसे ज्यादा 637 (लगभग 40 प्रतिशत) अकेले अमरावती डिवीजन से रिपोर्ट की गईं।

अमरावती डिवीजन में अमरावती जिले में 183, बुलढाणा जिले में 173, यवतमाल में 149, अकोला में 94 और वाशिम जिले में 38 किसानों ने आत्‍महत्‍या की है।

इसके बाद औरंगाबाद डिवीजन (584 मामले) है, जहां बीड जिले में 155, उस्मानाबाद में 102, नांदेड़ में 99, छत्रपति संभाजीनगर में 86, परभणी में 51, जालना में 36, लातूर में 35 और हिंगोली जिले में 20 किसानों ने खुदकुशी की।

नासिक डिवीजन में जिन 174 किसानों ने अपनी जान दी, उनमें से जलगाँव जिले के 93, अहमदनगर के 43, धुले के 28, नासिक के सात और नंदुरबार जिले के तीन किसान शामिल हैं।

नागपुर डिवीजन में 144 किसानों ने आत्‍महत्‍या की। इनमें चंद्रपुर से 73, वर्धा से 50, नागपुर से 13, भंडारा से पांच और गोनिया से तीन घटनाओं की सूचना है।

सोलापुर जिले में 13, सतारा में दो और सांगली जिले में एक मौतों के साथ पुणे डिविजन में कुल 16 किसानों की आत्‍महत्‍या की पुष्टि हुई है।

तटीय कोंकण डिवीजन के जिले, जहां आमतौर पर पर्याप्त वर्षा होती है, अब तक आत्महत्याओं से अछूते रहे हैं।

वडेट्टीवार ने सवाल किया, “आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश कृषि आत्महत्याएँ जून (233), जुलाई (229) के शुरुआती मानसून महीनों के दौरान दर्ज की गई हैं। इसके बाद जनवरी और मार्च (226-226), अप्रैल (225), मई (224) और फरवरी (192) का स्‍थान आता है। राज्य में किसान हर दिन मर रहे हैं... राज्य सरकार कब सूखा घोषित करेगी।''

विपक्ष के नेता का यह खुलासा शिवसेना (यूबीटी) नेता किशोर तिवारी द्वारा पिछले 72 घंटों में यवतमाल (छह) और वर्धा (एक) में सात किसानों की आत्महत्याओं पर प्रकाश डालने के एक दिन बाद आया, जिससे किसान समुदाय को झटका लगा क्योंकि राज्‍य के 10 से अधिक जिलों में बारिश लगातार जारी है।

वडेट्टीवार ने कहा, “सवाल यह है कि क्या सरकार को यह भी पता है कि राज्य में सूखे की स्थिति कितनी गंभीर है… राज्य में पिछले ढाई महीनों में बहुत कम बारिश हुई है, और अगर यही स्थिति रही, तो एक बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। इससे राज्य में सूखा पड़ सकता है।''

तिवारी ने आग्रह किया कि यदि केंद्र सरकार वास्तव में मानसून की बेरुखी के कारण महाराष्ट्र सहित देश के बड़े हिस्से में व्याप्त कृषि संकट को लेकर गंभीर है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद के चल रहे विशेष सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it