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दिल्ली का महाराजा बोला : स्वच्छ यमुना के लिए नदी में मूर्ति विसर्जन नहीं, न प्लास्टिक का होगा उपयोग

मुंबई की तर्ज पर दिल्ली में लाल बाग का राजा, महाराष्ट्र भवन में गणपति, पहाडग़ंज में कई गणपति पंडाल सजाए जाते

दिल्ली का महाराजा बोला : स्वच्छ यमुना के लिए नदी में मूर्ति विसर्जन नहीं, न प्लास्टिक का होगा उपयोग
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नई दिल्ली। मुंबई की तर्ज पर दिल्ली में लाल बाग का राजा, महाराष्ट्र भवन में गणपति, पहाडग़ंज में कई गणपति पंडाल सजाए जाते हैं लेकिन इस वर्ष 15 वर्ष में लोकप्रिय हो चुके आस्था के केंद्र 'दिल्ली का महाराजा’अपने विशेष उद्देश्यों के साथ तैयारी में जुटा है।

राजधानी दिल्ली में 25 अगस्त से 5 सितम्बर तक गणपति बप्पा मोरिया की गूंज रहेगी और इसके बीच दिल्ली का महाराजा 'स्वच्छ यमुना, स्वच्छ भारत’के अभियान पर सजाया जा रहा है। पूर्वी दिल्ली के डीडीए, मिनी स्टेडियम, बैंक एन्कलेव के ग्राउंड में इसकी तैयारियों में अभियान का असर दिख रहा है।

आयोजक श्री गणेश सेवा मंडल के संस्थापक महेंद्र लड्डा ने बताया दिल्ली के सबसे लोकप्रिय गणेश महोत्सव के रुप में प्रसिद्धि पा चुके इस बार दिल्ली का महाराजा कई मायने में खास होगा। देश को दुनिया की धरती पर स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त करने के अभियान में ऐसे आयोजन सकारात्मक भूमिका अदा करें इस प्रयास में तय किया है कि दिल्ली का महाराजा स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छ यमुना व स्वच्छ भारत के संदेश को जन जन तक देंगे। इसी मकसद से दिल्ली मे यमुना को साफ रखने के लिए गणेश भगवान की मूर्ति को यमुना में विसर्जित नहीं किया जायेगा। इसीलिए मूर्ति को फाइबर से तैयार किया गया है और छोटी मिट्टी कीमूर्तियों को भी यमुना में विसर्जित करने के बजाय इसके लिए 4 बड़े पानी के टब तैयार किए जा रहे हैं जहां पूरी दिल्ली के गणेश मंडप से मूर्तियों के विसर्जन के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।

गणेश सेवा मंडल के प्रधान सचिन गुप्ता ने बताया कि दिल्ली और एनसीआर में 50 से अधिक छोटे और बड़े संगठन हैं, जो इस समारोह का आयोजन करते हैं। इसमें लाल बाग का राजा, नेताजी सुभाष पैलेस और महाराष्ट्र भवन, पहाडग़ंज, दिल्ली में कुछ अन्य जगहों पर मनाते हैं जहां गणेश महोत्सव भी मयूर विहार, आनंद विहार, पश्चिम विहार, नोएडा और गुडग़ांव सहित कई अन्य स्थानों पर मनाया जाता है। हम इन संगठनों से आग्रह करेंगे कि वह सब भी प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान में अपना-अपना योगदान दें और मूर्ति को यमुना में विसर्जित न करें व खानपान में भी प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से बचें।


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