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कालकाजी में होगा महाचंडी यज्ञ : सुरेन्द्र नाथ

 इस साल के पहले चैत्र नवरात्रि आज से शुरू

कालकाजी में होगा महाचंडी यज्ञ : सुरेन्द्र नाथ
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नई दिल्ली। इस साल के पहले चैत्र नवरात्रि आज से शुरू। ज्योतिषी की दृष्टि से चैत्र नवरात्रि विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि से ही नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद नवरात्रि के नौ दिन मां की पूजा जाती है। नवरात्रि के नौ दिन मां के अलग-अलग स्वरुप की पूजा की जाती है। चैत्र में नवरात्रि में उपासना, पूजा करने से आत्मशुद्धि के साथ-साथ घर की नाकारात्मकता भी दूर होती है और वातावरण में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सकारात्मक ऊर्जा की प्रतीक चैत्र नवरात्रि इस बार 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक चलेंगी। लेकिन इस बार नवमी तिथि का क्षय होने कारण नवरात्रि आठ दिन की होगी। चैत्र नवरात्रि के आगमन पर कालका जी मंदिर को संजाने को लेकर अंतिम रूप दे दिया गया है। कालकाजी मंदिर के मंहत सुरेन्द्र नाथ के अनुसार नवरात्रि के दौरान मंदिर को तो पूरी तरह फूलों से सजाया ही गया है।

वहीं मां कालका के दर्षन के लिए आने वाले भक्तों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए है। उनका पूरा प्रयास है कि भक्तों को मंदिर में आने पर कोई परेशानी नहीं हो। उन्होंने बताया कि प्रत्येक नवरात्रि में कालकाजी मंदिर में करीबन पांच से दस लाख भगत लोग देशभर से आते है। पहले नवरात्रि पर देश की खुशीहाली के लिए महाचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया।

नवरात्रि के तहत पहला नवरात्रे पर मां शैलपुत्री पूजन के पुजन से शुरुआत होगी। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का, चौथे दिन मां कुष्मांडा को, पांचवे दिन मां स्कंदमाता का, छठे दिन मां कात्यायनी का सातवें दिन मां कालरात्रि का आठवें दिन मां महागौरी का तथा 25 मार्च रविवार को सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। कन्या पूजन के साथ ही नवरात्रि का समापन होगा।

हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं। नौ कुमारी कन्याओं को बुलाकर भोजन करा सब को दक्षिणा और भेंट देते हैं। कुमारी कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छरूवर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका, आठ वर्षकी शाम्भवी, नौ वर्षकी दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं। प्राय: इससे उपर की आयु वाली कन्या का पूजन नही करना चाहिए।


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