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छत्तीसगढ़ में नई धार के साथ ‘महादेव ऐप‘ बन रहा है सियासी हथियार

छत्तीसगढ़ की सियासत में घपले-घोटालों के साथ सट्टा के बाजार का महादेव ऐप भी नई धार के साथ सियासी हथियार बन रहा है

छत्तीसगढ़ में नई धार के साथ ‘महादेव ऐप‘ बन रहा है सियासी हथियार
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रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में घपले-घोटालों के साथ सट्टा के बाजार का महादेव ऐप भी नई धार के साथ सियासी हथियार बन रहा है। राज्य सरकार जहां केंद्र पर राजनीतिक लाभ के आरोप लगा रही है तो भाजपा ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

दरअसल, महादेव एक बेटिंग ऐप है, जिसकी शुरुआत कोरोना काल में छत्तीसगढ़ से हुई थी। धीरे-धीरे यह देश के दूसरे राज्यों में पहुंच गया।

यह ऐसा ऐप है, जिसमें संचालक पहले भाग लेने वाले को थोड़ी-थोड़ी राशि जिताता है और जब वह बड़ी रकम लगाता है तो उसकी हार तय होती है। इसकी वजह है कि पूरा कमांड संचालक के पास होता है।

ऐप का संचालक सौरभ चंद्राकर है, जो दुबई पहुंच चुका है। मामला प्रवर्तन निदेशालय के पास है और उसने कई लोगों की गिरफ्तारी भी की है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि ईडी की कार्रवाई सिर्फ छत्तीसगढ़ तक सीमित है क्योंकि उसके पीछे राजनीतिक मकसद है। महादेव ऐप देश के बहुत से राज्यों में फैला हुआ है। इस ऑनलाइन सट्टा को खिलाने वाले जरुर छत्तीसगढ़ से हैं, मगर उनका कोई ऑफिस यहां नहीं है। भाजपा शासित कोई भी राज्य बताएं, जिसने महादेव ऐप के खिलाफ कार्रवाई की हो। इसका हेड ऑफिस दूसरे प्रदेशों में है।

उन्होंने बताया है कि 20 मार्च 2022 को पहली एफआईआर दुर्ग में दर्ज हुई थी। इसके बाद लगातार कार्रवाई हुई। राज्य पुलिस अब तक 72 मामले दर्ज कर चुकी है। इस मामले में 449 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं। यह गिरफ्तारियां अलग-अलग स्थानों से हुई। 151 लैपटॉप, 885 मोबाइल जब्त किए गए हैं। इसके अलावा 41 लाख की नकदी, डेढ़ करोड़ की सामग्री और 16 करोड़ की राशि के एक हजार बैंक खाते सीज किए गए हैं।

भूपेश बघेल का आरोप है कि यह षड्यंत्र दिल्ली से चल रहा है। उनकी नजर गिद्ध की तरह यहां के खदानों पर है, लेकिन राज्य की जनता इनके बहकावे में नहीं आने वाली।

पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि ईडी की कारवाई के बाद जितने बदहवास मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिख रहे हैं, उससे साफ समझ में आ रहा है कि इन तमाम घोटालों का पॉलिटिकल मास्टर कौन है।

इतने बदहवास मुख्यमंत्री भूपेश तब भी नहीं दिखे थे, जब उनकी नजदीकी उप सचिव जेल गई थीं। यह बदहवासी से लगता है कि ’चोर की दाढ़ी में तिनका।’ जिस तरह से आरोपियों, अपराधियों, संदिग्धों के पक्ष में बाकायदा कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय कार्यालयों का उपयोग किया गया, वह आश्चर्यजनक है।

अग्रवाल ने राज्य सरकार और पुलिस पर सवाल उठाए हैं और पूछा है कि महादेव ऐप के संदिग्धों को बचाने की कोशिश कांग्रेस क्यों कर रही है?

महादेव ऐप, मुख्यमंत्री और दुर्ग-भिलाई से क्या संबंध है?, महादेव ऐप पर कार्रवाई से मुख्यमंत्री बौखला क्यों रहे हैं?, कांग्रेस जहां-जहां है, वहां सट्टा क्यों है?

गली-गली, गावं-गांव में पुलिस के संरक्षण और सरकार की देखरेख में सट्टेबाजी क्यों हो रही है?

गृहमंत्री सिर्फ चुनिंदा सट्टेबाजों की सूची पुलिस को क्यों दे रहे हैं?


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