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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ समाप्त

लोक आस्था और सूर्य उपासना का पर्व छठ शुक्रवार की सुबह उदयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ समाप्त
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पटना । लोक आस्था और सूर्य उपासना का पर्व छठ शुक्रवार की सुबह उदयमान सूर्य के अर्घ्य के साथ ही संपन्न हो गया। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के चौथे दिन अघ्र्य के बाद व्रतधारी (परिवर्तनों)ने अन्न जल ग्रहण कर 'पारण' किया।

छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन शुक्रवार बड़ी संख्या में व्रतधारी गंगा सहित विभिन्न नदियों के तट और जलाशयों के किनारे पहुंचे और उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की तथा हवन किया।

इसके बाद व्रतियों ने अपने घर आकर जल-अन्न ग्रहण कर 'पारण' किया और 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त किया।

छठ को लेकर चार दिनों तक पूरा बिहार भक्तिमय रहा। मुहल्लों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। राजधानी पटना की सभी सड़कें दुल्हन की तरह सजाई गई।

छठ को लेकर पटना से लेकर पूरे राज्य में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। गंगा के तटों से लेकर जलाशयों के घाटों पर अभूतपूर्व सुरक्षा के इंतजाम देखे गए। पटना जिला प्रशासन की ओर से गंगा तट पर 101 घाटों पर तथा शहर में 45 तालाबों पर छठव्रतियों को भगवान भास्कर के अर्घ्य देने के इंतजाम किए गए थे।

पटना में कई पूजा समितियों द्वारा भगवान भास्कर की मूर्ति स्थापित की गई, पूरा माहौल छठमय रहा। कई स्थानों पर तोरण द्वारा लगाए गए तो कई पूजा समितियों द्वारा रोशनी की व्यवस्था की गई ।

इधर, मुजफ्फरपुर, सासाराम, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर, बेतिया, मोतिहारी सहित सभी जिलों के शहरों से लेकर गांवों तक लोग चार दिनों तक छठ पर्व की भक्ति में डूबे रहे। औरंगाबाद के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर परिसर सहित विभिन्न सूर्य मंदिरों में लाखों श्रद्धालु छठ पर्व मनाने पहुंचे थे।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का यह महापर्व प्रारंभ हुआ था। कल यानी गुरुवार शाम को डूबते सुर्य को अघ्र्य देने के लिए भारी संख्या में घाटों पर श्रद्धालु जमा हुए थे।


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