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मद्रास हाईकोर्ट ने सिर्फ तमिल जानने वालों को ही स्कूलों में सुरक्षा कर्मचारी बनाने का निर्देश दिया

मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग को सुरक्षा सेवाओं, सफाई और रखरखाव में लगी निजी कंपनियों का चयन करते समय सिर्फ उन्हीं लोगों को नियुक्त करने का निर्देश दिया है जो तमिल या उस जगह की स्थानीय भाषा जानते हों

मद्रास हाईकोर्ट ने सिर्फ तमिल जानने वालों को ही स्कूलों में सुरक्षा कर्मचारी बनाने का निर्देश दिया
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चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग को सुरक्षा सेवाओं, सफाई और रखरखाव में लगी निजी कंपनियों का चयन करते समय सिर्फ उन्हीं लोगों को नियुक्त करने का निर्देश दिया है जो तमिल या उस जगह की स्थानीय भाषा जानते हों, जहां वह स्कूल स्थित है। मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. राजा और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की एक खंडपीठ ने संबंधित टेंडर फ्लोटिंग कमेटी से अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए किए जाने वाले काम के अनुरूप टेंडर की शर्ते तय करते समय दूसरे विभागों द्वारा अपनाए गए मानदंडों सहित सभी बातों को ध्यान में रखने का निर्देश दिया।

तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार अपने अंतर्गत आने वाले सभी स्कूलों में हाउसकीपिंग, सेनेटरी और सुरक्षा सेवाओं के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। बोली लगाने वालों के लिए मानदंड यह है कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों में 50 करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ 25 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में काम किया हो और उनके पास 5,000 कर्मचारी हों।

क्वालिटी प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने इसके खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया लेकिन एक एकल पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

जब खंडपीठ के समक्ष अपील याचिका आई तो अतिरिक्त महाधिवक्ता, जे. रवींद्रन ने कहा किया कि बोली से पहले की बैठकों के दौरान आए सुझावों के आधार पर टेंडर की शर्तो में रियायत दी गई है - 25 लाख वर्ग फुट की जगह 10 लाख वर्ग फुट तक का क्षेत्र, 50 करोड़ रुपये की जगह 30 करोड़ रुपये का टर्नओवर और कर्मियों की संख्या 5,000 की जगह 3,000 की गई है।

खंडपीठ ने एएजी द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और सवाल किया कि निविदा मानदंड को कमजोर क्यों किया गया। इसने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया और निविदा अधिसूचना को रद्द कर दिया।


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