Top
Begin typing your search above and press return to search.

जहरीली कफ सिरप मामला : कांग्रेस का बड़ा आरोप, कहा-पूरा मामला ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में सरकार

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और बैतूल में जहरीला कफ सिरप पीने से 26 बच्चों की मौत के बाद सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। परासिया विधानसभा से कांग्रेस विधायक सोहन लाल वाल्मीकि ने कहा है कि सरकार ने केवल औपचारिक कार्रवाई की है, जबकि जिम्मेदार बड़े अधिकारियों को बचाया जा रहा है

जहरीली कफ सिरप मामला : कांग्रेस का बड़ा आरोप, कहा-पूरा मामला ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में सरकार
X

कफ सिरप मामला ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी, विधायक वाल्मीकि ने साधा सरकार पर निशाना

भोपाल। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और बैतूल में जहरीला कफ सिरप पीने से 26 बच्चों की मौत के बाद सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। परासिया विधानसभा से कांग्रेस विधायक सोहन लाल वाल्मीकि ने कहा है कि सरकार ने केवल औपचारिक कार्रवाई की है, जबकि जिम्मेदार बड़े अधिकारियों को बचाया जा रहा है।

भोपाल में बातचीत के दौरान विधायक वाल्मीकि ने कहा कि दवा दुकानदारों और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) पर कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं है। इस त्रासदी के लिए ड्रग कंट्रोलर और स्वीकृति देने वाले अधिकारी पूरी तरह जिम्मेदार हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि सरकार ने मामले को निचले स्तर तक सीमित कर दिया है, जबकि मुख्य दोषी अब भी बाहर हैं।

विधायक ने कहा कि जब तक स्वीकृति प्रक्रिया और दवा गुणवत्ता परीक्षण प्रणाली से जुड़े अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी। उन्होंने मांग की कि सरकारी स्तर पर उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।

वाल्मीकि ने कहा कि मध्यप्रदेश में ड्रग इंस्पेक्टर और लैब की संख्या बेहद कम है। पूरे प्रदेश में केवल तीन प्रयोगशालाएं हैं, जिससे निगरानी व्यवस्था कमजोर पड़ी है। उन्होंने कहा कि यह सरकारी लापरवाही का परिणाम है। अगर लैब और निरीक्षण व्यवस्था समय रहते मजबूत की जाती, तो इतनी बड़ी त्रासदी नहीं होती।

तमिलनाडु की दवा कंपनी और राज्य सरकार की भूमिका पर उन्होंने कहा कि गलत दवा सप्लाई करने की जिम्मेदारी कंपनी की है, लेकिन उन दवाओं को रोकने की जवाबदारी मध्यप्रदेश सरकार की थी। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने समय रहते सप्लाई रोक दी होती, तो बच्चों की जानें बचाई जा सकती थीं।

विधायक सोहन लाल ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले परासिया कलेक्टर को पत्र लिखा और मौखिक रूप से सीएमएचओ और कलेक्टर से चर्चा की, पर उन्हें सिर्फ अनौपचारिक (कैजुअल) जवाब मिला। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भी पत्र लिखे, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते बच्चों की मौतें होती रहीं।

वाल्मीकि ने आरोप लगाया कि शायद इसलिए उनकी बातों को अनसुना किया गया क्योंकि वे विपक्ष से हैं। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन की यही मानसिकता है, जिसकी कीमत आम जनता को चुकानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तब पहुंचे जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पहले ही पीड़ित परिवारों से मिल चुके थे। स्वास्थ्य मंत्री और प्रभारी मंत्री ने भी केवल औपचारिकता निभाई।

विधायक ने कहा कि अब पूरा मामला ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी हो रही है। उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लगाया है। मुख्यमंत्री द्वारा घोषित राहत राशि भी अब तक पूरी नहीं मिली है। कुछ परिवारों को एक लाख, कुछ को दो लाख रुपए मिले हैं, जबकि वादा चार लाख का किया गया था।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it