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मध्य प्रदेश : महापौर चुनाव के अध्यादेश पर टकराव के आसार बढ़े

मध्य प्रदेश में महापौर (मेयर) का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली अर्थात पार्षदों से कराए जाने संबंधी अध्यादेश पर राज्यपाल लालजी टंडन ने फिलहाल रोक लगा दी

मध्य प्रदेश : महापौर चुनाव के अध्यादेश पर टकराव के आसार बढ़े
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भोपाल। मध्य प्रदेश में महापौर (मेयर) का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली अर्थात पार्षदों से कराए जाने संबंधी अध्यादेश पर राज्यपाल लालजी टंडन ने फिलहाल रोक लगा दी है। इसके चलते सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच टकराव के आसार बढ़ गए हैं। राज्य सरकार आगामी नवंबर में प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराना चाहती है। इसके लिए कैबिनेट ने एक अध्यादेश पारित कर राज्यपाल लालली टंडन को भेजा, मगर अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिली है। इस अध्यादेश के पारित होने और राज्यपाल द्वारा रोके जाने के बीच राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने लालजी टंडन से मुलाकात की। मगर अब तक राज्यपाल ने अध्यादेश को मंजूरी नहीं दी है।

सरकार द्वारा महापौर का चुनाव पार्षदों से कराए जाने का भाजपा की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा है। इतना ही नहीं ऑल इंडिया मेयर काउंसिल भी इसके विरोध में उतर चुकी है। काउंसिल के संगठन मंत्री और राज्य के पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने राज्यपाल से मुलाकात कर अप्रत्यक्ष के बजाय सीधे तौर पर प्रत्यक्ष चुनाव कराने की मांग की है।

इसी बीच कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने ट्वीट किया, "सम्मानीय राज्यपाल आप एक कुशल प्रशासक थे और हैं। संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते हैं। इसे राजधर्म कहते हैं। विपक्ष की बात सुनें, मगर महापौर चुनाव बिल न रोकें। यह गलत परंपरा होगी। जरा सोचिए।"

ज्ञात हो कि राज्य में हुए पिछले नगर निगम चुनाव में महापौर को सीधे जनता ने चुना था। मगर इस बार राज्य की सत्ता में आए बदलाव के साथ महापौर की चुनाव प्रक्रिया में भी बदलाव किया जा रहा है। भाजपा इस चुनाव को सीधे जनता के जरिए कराए जाने की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस की जनता द्वारा पार्षद और पार्षदों द्वारा महापौर का चुनाव कराने की प्रक्रिया अपनाना चाहती है। इस पर दोनों दलों में विवाद बढ़ चुका है। गेंद हालांकि राज्यपाल के पाले में है और इस पर जल्द ही कोई फैसला होने की संभावना है।


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