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मप्र में लंपी वायरस से 101 पशुओं की मौत, टोल फ्री नंबर जारी

मध्यप्रदेश में लंपी वायरस पशुओं के लिए मुसीबत बना हुआ है। अब तक राज्य में इस बीमारी के चलते 101 पशुओं की मौत हो चुकी है।

मप्र में लंपी वायरस से 101 पशुओं की मौत, टोल फ्री नंबर जारी
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भोपाल: मध्यप्रदेश में लंपी वायरस पशुओं के लिए मुसीबत बना हुआ है। अब तक राज्य में इस बीमारी के चलते 101 पशुओं की मौत हो चुकी है। इस बीमारी से ग्रसित पशुओं के इलाज के लिए राज्य सरकार ने टोल फ्री नंबर भी जारी किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को लंपी वायरस को लेकर अधिकारियों की वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बैठक ली और आवश्यक निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा, "गौ-सेवक, जनप्रतिनिधि और समाज के बाकी लोग, हम सभी को मिलकर इस बीमारी को रोकना है। इस बीमारी का प्रभाव अब 26 जिलों में है तो हमें बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।"

मुाख्यमंत्री चौहान ने बताया कि, 21 सितंबर तक प्रभावित पशुओं की संख्या 7686 है और मृत पशुओं की संख्या 101 है। स्वस्थ होने वाले पशुओं की संख्या 5432 है। भोपाल में राज्य स्तरीय रोग नियंत्रण कक्ष के दूरभाष क्रमांक जारी किए गए जो 0755-2767583 है और टोल फ्री नंबर 1962 है।

मुाख्यमंत्री चौहान ने पशु पालकों को सलाह दी है कि पशुओं में लंपी स्किन रोग के लक्षण दिखाई देने पर निकटतम पशु औषधालय, पशु चिकित्सालय में संपर्क करें। "मैं मानता हूं इसे बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। पड़ोसी राज्यों में जिस तरह गाय और बाकी पशुओं की मृत्यु हुई वह ²श्य हमने देखे हैं। किसी भी कीमत पर हमें उस स्थिति को पैदा नहीं होने देना है।"

चौहान ने कहा, यह एक तरीके से पशुओं में कोविड जैसा ही है। कई चीजों से यह फैलता है -- मक्खी से, मच्छरों से, आपस में मिलने से, साथ रहने से, यह फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग मध्यप्रदेश द्वारा प्रदेश में रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु अलर्ट जारी कर विशेष सतर्कता रखी जा रही है। संक्रमित क्षेत्रों तथा जिलों में पशुओं का सघन टीकाकरण तथा चिकित्सा कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया किसंक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाना चाहिए, इसके अलावा रोग के लक्षण दिखाई देने पर अविलंब पशु चिकित्सक से उपचार कराएं। क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले आयोजन तथा पशुओं के क्रय-विक्रय आदि को रोका जाए। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण हो।


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