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लुधियाना गैस लीक : औद्योगिक कचरे से हादसे का शक

पंजाब के लुधियाना में 11 लोगों की जान ले लेने वाले गैस लीक हादसे को लेकर रहस्य बना हुआ है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हादसे का कारण स्थानीय सीवेरज सिस्टम में औद्योगिक अपशिष्ट डाले जाने से निकली कोई घातक गैस हो सकती है.

लुधियाना गैस लीक : औद्योगिक कचरे से हादसे का शक
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पंजाब के लुधियाना के एक इलाके में रविवार 30 अप्रैल को गैस लीक के एक हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई है. कम से कम चार और लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. अधिकारियों ने अभी तक गैस लीक के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है लेकिन मीडिया रिपोर्टों में औद्योगिक अपशिष्ट से निकली गैस की भूमिका की बात की जा रही है.

लुधियाना का गियासपुरा इलाका प्रवासियों के ठिकाने के रूप में जाना जाता है. वहां कई औद्योगिक इकाइयां भी हैं. बताया जा रहा है कि इस हादसे में भी मरने वाले सभी लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से आए प्रवासी ही थे. पांच मृतक तो एक ही परिवार के सदस्य थे.

हाइड्रोजन सल्फाइड मौजूद

इनमें इलाके में एक क्लिनिक चलाने वाले 40 वर्षीय डॉक्टर कविलाष, उनकी 35 वर्षीय पत्नी कविता और 10, 13 और 16 साल के उनके तीन बच्चे शामिल हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस परिवार के सदस्य मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे, लेकिन पिछले तीन दशकों से लुधियाना में ही रह रहे थे.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने लुधियाना प्रशासन के हवाले से कहा है कि एनडीआरएफ के कर्मियों के वायु गुणवत्ता सेंसरों में हाइड्रोजन सल्फाइड बढ़ी हुई मात्रा में पाई गई. अधिकांश मृतकों का लुधियाना सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया, जहां के फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने भी अखबार को बताया कि मौत किसी जहरीली गैस को सूंघने की वजह से ही हुई.

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लग रहा है कि जहां घटना हुई वहां सीवर में एसिडिक अपशिष्ट फेंका गया होगा जो सीवर में मौजूद मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड और दूसरी और गैसों से मिल कर एक घातक गैस बन गया होगा.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मामले को लेकर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में भी लिखा है कि कुछ लोगों पर सीवर में औद्योगिक अपशिष्ट फेंकने का संदेह है जिससे निकली गैस सीवर के अंदर मौजूद गैसों से मिल गई और फिर एक टूटे हुए मैनहोल के रास्ते बाहर निकल गई.

आम समस्या, बड़ा हादसा

यह हादसा सिविक और औद्योगिक कचरे के अनुचित निष्पादन के खतरों को रेखांकित करता है. देश के लगभग सभी छोटे बड़े शहर इस समस्या से जूझ रहे हैं. यह कचरा अक्सर या तो नदियों, तालाबों आदि में गिर कर उन्हें और फिर शहर की जल व्यवस्था को दूषित करता है या सीवर में गिर कर खतरनाक गैसों को जन्म देता है.

सीवर में पहले से मीथेन जैसी हानिकारक गैसें भरी होती हैं, जो अमूमन सतह पर नहीं आ पातीं लेकिन बिना मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरणों के सीवर में उतरने वाले सफाई कर्मियों की तुरंत मौत का कारण बनती हैं.

इंडियन एक्सप्रेस अखबार की ही एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गियासपुरा में सीवर में औद्योगिक अपशिष्ट डालने की शिकायतें पहले भी की गई हैं लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

जहां यह हादसा हुआ वहां निगम पार्षद जसपाल सिंघ गियासपुरा ने अखबार को बताया कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को 11 बार चिट्ठियां लिख कर अपील की कि इलाके में औद्योगिक अपशिष्ट के सीवरेज सिस्टम में गिराए जाने की जांच कराई जाए, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.

उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने राज्य प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड को भी लिखा और राज्य में आम आदमी पार्टी की नई सरकार से भी इस समस्या की तरफ ध्यान खींचने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

हाइड्रोजन सल्फाइड एक जहरीली गैस होती है और आम तौर पर इसकी गंध सड़े हुए अंडों के जैसी होती है. इसे ज्यादा मात्रा में सूंघ लेने से मौत भी हो सकती है.


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