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उपराज्यपाल ने सीबीआई को सौंपी घोटाले की जांच

शराब घोटाले की जांच झेल रही दिल्ली सरकार पर अब लो फ्लोर बसों की खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है

उपराज्यपाल ने सीबीआई को सौंपी घोटाले की जांच
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नई दिल्ली। शराब घोटाले की जांच झेल रही दिल्ली सरकार पर अब लो फ्लोर बसों की खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने रविवार को मामले की सीबीआई जांच की मंजूरी दे दी है।

शिकायत दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 9 जून को दर्ज कराई थी। शिकायत में दिल्ली के परिवहन मंत्री पर टेंडर, खरीद और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। हालांकि, पिछले साल शिकायत के बाद बस खरीद का टेंडर रद्द कर दिया गया था।

आम आदमी पार्टी ने सीबीआई जांच के जवाब में कहा, 'उपराज्यपाल खुद भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। ध्यान हटाने के लिए, वे ऐसे काम कर रहे हैं। अब तक मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ हुई जांचों का कोई नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने अब चौथे मंत्री के खिलाफ शिकायत की है। उन्हें पहले अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब देना चाहिए।'

बसें कभी नहीं खरीदी गई : आप

आम आदमी पार्टी ने यह भी कहा कि ये बसें कभी नहीं खरीदी गईं और टेंडर रद्द कर दिए गए। दिल्ली को और ज्यादा पढ़े-लिखे उपराज्यपाल की जरूरत है। इस आदमी को पता नहीं है कि वह किस पर साइन कर रहा है।

2019 में शुरू हुई थी खरीद : गुप्ता

भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि जुलाई 2019 में दिल्ली सरकार ने 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद और उनके रखरखाव में पांच हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है। मेंटेनेंस का ठेका भी बस सप्लाई करने वाली कंपनी को ही दे दिया गया है जो गलत है। बसों के सड़कों पर उतरते ही मेंटनेंस कॉन्ट्रैक्ट भी लागू हो जाएगा जबकि बसों की तीन साल की वारंटी होनी चाहिए। इस दौरान गड़बड़ियां आने पर मेंटेनेंस के लिए एक भी पैसे नहीं देने होते हैं। तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल के निर्देश पर तीन सदस्यीय समिति ने एक रिपोर्ट पेश की थी। समिति ने एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट में खामियां पाई थीं और इसे खत्म करने की सिफारिश की थी।

आबकारी नीति को लेकर हुई थी छापेमारी

दिल्ली में आप और भाजपा के बीच 19 अगस्त से तकरार चल रही है। दरअसल, आबकारी नीति को लेकर दिल्ली में पहली बार 19 अगस्त को मनीष सिसोदिया के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की थी। यह छापेमारी करीब 14 घंटे तक चली थी, जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले में पीएमएलए कानून के तहत केस दर्ज कर लिया था। भाजपा का आरोप है कि यह शराब घोटाला 2,000 करोड़ रुपए का है।


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