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राहुल को लेकर निचली अदालत के फैसले को दी जाएगी चुनौती : कांग्रेस

कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी नेता राहुल गांधी को लेकर निचली अदालत का फैसला सही नहीं है और कानूनी तरीके से इसमें गलतियां हैं इसलिए इसे उच्च अदालत में चुनौती दी जाएगी

राहुल को लेकर निचली अदालत के फैसले को दी जाएगी चुनौती : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी नेता राहुल गांधी को लेकर निचली अदालत का फैसला सही नहीं है और कानूनी तरीके से इसमें गलतियां हैं इसलिए इसे उच्च अदालत में चुनौती दी जाएगी।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि श्री गांधी के मामले में निचली अदालत का फैसला अनुचित है। यह गलत निर्णय है और कानूनी तरीके से इसका समर्थन नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि कांग्रेस को विश्वास है कि गलत तरीके से आये इस मामले में सही निर्णय सामने आएगा।

उन्होंने कहा “श्री गांधी की नीति हमेशा स्पष्ट रही है। खुले रूप से डराने, धमकाने, आवाज रोकने, झूठे केस दर्ज करने की, उससे हमारी आवाज दबने वाली नहीं है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक मुद्दों पर श्री गांधी लगातार बोलते ते रहेंगे और जनता की आवाज उठाते रहेंगे। यह मुद्दा 2019 को कोलार में राहुल गांधी ने जो भाषण दिया था उससे जुड़े मुद्दे पर यह निर्णय है। फैसला गुजरात की अदालत का है और यह फैसला 70 पेज का है।”

प्रवक्ता ने कहा कि मानहानि के विषय में कानून का मूल सिद्धांत है कि इसमें सबसे पहले स्पष्टता होनी चाहिए। मानहानि का मामला किस व्यक्ति के खिलाफ किस स्पष्टता से बनता है इसकी सबसे अहम भूमिका इस तरह के मामलों में होती है। यदि मामला स्पष्ट नहीं है तो फिर मानहानि का मामला नहीं बनता है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में सबसे बड़ी गलती तो यह है कि जिन लोगों के बारे में श्री गांधी ने बात कही है और जिसके आधार पर मामला दर्ज हुआ है उनमें से किसी व्यक्ति द्वारा श्री गांधी की कोई शिकायत ही दर्ज नहीं की गई है और ऐसी स्थिति में मामला बनता ही नहीं है।श्री सिंघवी ने कहा कि इस फैसले को लेकर तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि श्री गांधी का भाषण समाज के व्यापक हित में था] जिसमें बेरोजगारी, जनहित तथा समाज के बड़े वर्ग के हित से जुड़ा था इसलिए उनके भाषण में आये किसी शब्द के आधार पर मानहानि का मामला नहीं बनता है।

उन्होंने कहा कि मामले में स्पष्टता नहीं है क्योंकि यह मामला लम्बे समय तक एक मजिस्ट्रेट की अदालत में रहा है और उसी दौरान इससे संबंधित याचिका उच्च न्यायालय में दर्ज की गई थी। मामला याचिका के कारण अटका हुआ था, लेकिन जब उस मजिस्ट्रेट का स्थानांतरण हुआ तो इस मामले को अचानक उच्च न्यायालय से वापस ले लिया गया।

श्री सिंघवी ने कहा कि इस फैसले संबंधित और भी पेचिदगियां हैं। उनका कहना था कि कि सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें अधिकार क्षेत्र के नियम 202 के तहत मामला गलत हो सकता है। मामला कर्नाटक के कोलार का है तो उस अधिकार क्षेत्र से बाहर का यह मामला नहीं बनता है। उनका कहना था कि यदि मामला अदालत की क्षेत्राधिकार (जूरिडिक्शन) से बाहर जाता है, तो यह गलत है क्योंकि मामला कोलार का मामला केरल में नहीं चल सकता है इसलिए इसमें देखना पड़ेगा कि अदालत की सीमा में मामला आता है कि नहीं आता है। यदि नहीं आता है तो यह गलत है।

उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में पर्याप्त जिरह होना आवश्यक है और इस लिहाज से भी यह फैसला गलत है। इस मामले में बहुत जिरह हुई है और इस आधार पर भी इसे कानूनी दृष्टि से सही नहीं कहा जा सकता है।


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