मध्यप्रदेश में कम वर्षा, सूखे की आहट
मध्यप्रदेश में इस बार अब तक प्रदेश के 51 में से 34 जिलों में सामान्य से कम वर्षा के बाद सूबे के कई क्षेत्रों में सूखे की आहट ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं
भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार अब तक प्रदेश के 51 में से 34 जिलों में सामान्य से कम वर्षा के बाद सूबे के कई क्षेत्रों में सूखे की आहट ने किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। वहीं राज्य सरकार का दावा है कि वह सूखे की आशंका को लेकर पूरी तरह सजग है और मंत्रिपरिषद् के सदस्यों को इस दिशा में जरुरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश में इस वर्ष मानसून में एक जून से 18 सितंबर तक प्रदेश के 17 जिलों में सामान्य वर्षा दर्ज हुई है, वहीं सामान्य से कम वर्षा वाले जिलों में राजधानी भोपाल समेत 34 जिले शामिल हैं। अभी तक हुई सामान्य औसत वर्षा 686.6 मिमी दर्ज की गई है, जबकि प्रदेश की सामान्य औसत वर्षा 894.8 मिमी है। हालांकि पिछले एक सप्ताह में कई संभागों में हुई तेज बारिश ने कई दम तोड़ते जलस्रोतों को नई जिंदगी दे दी है। मौसम विभाग ने आगामी कुछ दिन तक प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी भी दी है, जिसके चलते राज्य शासन ने भी राहत की सांस ली है। प्रदेश के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने दूरभाष पर यूनीवार्ता से कहा - पिछले सप्ताह से अब तक जारी बारिश ने प्रदेश के बहुत से जलस्रोतों में पानी भर दिया है, इससे पेयजल की आशंका दूर हो गई है।
कम सिंचाई की जरुरत वाली बहुत सी फसलों को पानी मिल गया है, इसके बावजूद हमने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां की हुई हैं। 30 सितंबर को कटऑफ तारीख के बाद जलभराव की स्थिति देखते हुए सरकार अपनी कार्ययोजना बनाएगी। बिसेन ने कहा कि किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए सरकार 313 विकासखंडों में 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक कृषक संगोष्ठी कार्यक्रम चला रही है। किसानों को हर स्थिति से निपटने से लेकर तकनीकी कृषि तक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विभिन्न धड़ों की ओर से प्रदेश के कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग से जुड़े सवाल पर मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि भारत सरकार की ओर से किसी भी क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित को लेकर कुछ मापदंड स्थापित किए गए हैं, इसमें वर्षा की गणना शामिल है, कटऑफ तारीख के बाद अगर किसी क्षेत्र में सूखे की स्थिति रही, तो प्रदेश सरकार केंद्र से इस बारे में अनुरोध करेगी।
प्रदेश में जुलाई-अगस्त में सामान्य से कम बारिश के चलते पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में भी इससे उपजी परिस्थितियों पर विचार-विमर्श हुआ था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सभी मंत्रियों से अपने प्रभार के जिलों में स्थितियों पर नजर रखने और आवश्यक उपाय करने के निर्देश दिए थे।


