पहले बेटियां खोईं, अब न्याय की लड़ाई
राजस्थान के नीम का थाना क्षेत्र के भगेगा गांव का दलित परिवार अपनी दो बेटियों को खोने के बाद न्याय की लड़ाई लड़ रहा है
राजस्थान में बलात्कार के बाद दो दलित लड़कियों की आत्महत्या
नई दिल्ली। राजस्थान के नीम का थाना क्षेत्र के भगेगा गांव का दलित परिवार अपनी दो बेटियों को खोने के बाद न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। इस परिवार की दो बेटियों के साथ बलात्कार हुआ, बाद में उनकी लाश रेल की पटरियों पर मिलीं, ये आत्महत्या है या हत्या, यह भी सवाल है। पूरे मामले में पुलिस का रुख शुरु से ही नकारात्मक है। पुलिस के रवैये और दबंगो के दबाव का यह आलम है, कि इन बच्चियों के चाचा की घटना के एक सप्ताह बाद ह्रदयाघात से मौत हो गई। न्याय की लड़ाई अभी भी जारी है, पर परिवार अंदर से टूट चुका है।
पिछले दिनों समाजवादी नेता विजय प्रताप के नेतृत्व में गए एक प्रतिनिधि मंडल के अनुसार घटना करीब १८ दिन पुरानी ५ अप्रैल की है। उस दिन सुबह लाल चंद बलाई की दो बेटियाँ रेनु व पूजा सुबह से ही अपने घर पर थी । वे नीम का थाना के सरकारी महाविद्यालय में छात्रा थी । दोनों की उम्र क्रमशः लगभग 19 वर्ष व 17 वर्ष थी। घटना के दिन घर पर कोई नहीं था, सभी काम पर बाहर गए हुए थे। करीब 10 से 11 बजे की बीच छोटा भाई अक्षय जब घर पर वापस आया तो उसने घर के कमरे के दरवाजे खुले हुए देखे और कमरे के अंदर से चीखने-चिल्लाने की आवाज आ रही थी ।
जब वह कमरे के अंदर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बहनों के कपड़े फटे हुए थे और उसे देखते ही वहाँ पर उपस्थित तीन लड़के, कमरे विक्की सिंह, बजरंग सिंह और कान्हाराम भागने लगे, उनमे से दो भाग निकले एक को अक्षय ने पकड़ लिया वह भी उसको धक्का देकर भाग गया ।
रेनू और पूजा ने अक्षय को चिल्लाते हुए बोला कि इन लोगों ने हमारे साथ गलत किया है। अक्षय ने उन लड़कों का गाँव के बाहर तक पीछा किया। जब वह लौटा तो पाया कि दोनों बहनें घर पर नहीं है । जब उनकी माँ जमीदार के खेत से 1 बजे दोपहर मे आई तो भाई ने उसे लड़कियों के गायब होने के बारे में बताया। माँ और बेटा हर तरफ ढूँढने का प्रयास कर रहे थे। बाद में शाम को जाकर इन दोनों बहनों की लाश रेल की पटरियों पर मिली। परिवार का न्याय पाने का संघर्ष इसके बाद शुरु होता है।


