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कच्चे जीएसटी सील से शासन को लाखों का चूना

 जीएसटी लागू होने के लगभग दो माह बीतने के बाद भी व्यापारियों के द्वारा कच्चे जीएसटी का सील लगाकर लाखों रूपये का लेन देन कर टैक्स चोरी की जा रही है

कच्चे जीएसटी सील से शासन को लाखों का चूना
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तखतपुर। जीएसटी लागू होने के लगभग दो माह बीतने के बाद भी व्यापारियों के द्वारा कच्चे जीएसटी का सील लगाकर लाखों रूपये का लेन देन कर टैक्स चोरी की जा रही है। इस चोरी में व्यापारी की चालाकी से शासन को राजस्व की हानि हो रही है। बीते दिवस नगर में 45 किलो चांदी लेकर कार से दो युवक मनोज नामदेव, रवि यादव गुप्ता ब्रदर्स, सर्राफा बाजार मध्यप्रदेश सागर से पहुंचे थे, और सूचना पर पुलिस ने उन व्यापारियों के पास से 4 अलग=अलग बेग में 45 किलों चांदी की जेंवर और 1 किलो चांदी की सिल्ली बरामद किए थे।

इन व्यापारियों के द्वारा जेंवर जो बिल व्यापारियों को दिया गया था उसमें कागज में छपे कच्चे बिल पर जीएसटी नम्बर स्टाम्प पेड सी लगाकर रसीद काटा गया । गुप्ता ब्रदर्स के इस बिक्री रसीद क्रमांक भी पेन से लिखा गया है, रसीद को देखने से यह नहीं पता चल पा रहा है कि इस व्यापारी के यह कौन सा नम्बर का रसीद है पूरे रसीद बुक में हाथ और पेन से लिखकर सामान खपाते हुए लाखो रूपये वारा-न्यारा कर टैक्स चोरी की जा रही है।

इस बिक्री बिल में जीएसटी नम्बर 223बीबीएपीजी 4144एन 7 एन का सील लगा हुआ है। यही सील लगाकर इस व्यापारी ने 21 तारीख को लगभग 15 लाख रूपये का जेंवर बेचा है जिसमें एक बिल भांठापारा के सर्राफा व्यापारी को जारी किया है,जिसमें 7,94,730 रूपये के बिल में 11,916 रूपये का जीएसटी तथा 11916 रूपये का एसजीएसटी कुल 23832 रूपये का टैक्स लिया परन्तु यह सभी इस सराफा व्यापारी कें पाकिट में चला गया।

इस सामान की लेन देन और टैक्स के हेराफेरी में क्रेता विक्रेता दोनों शामिल है, तभी आसानी से क्रेता कच्चा बिल स्वीकार कर ले रहा है। गुप्ता ब्रदर्स के कच्चे बिल में जीएसटी नम्बर का जो सील लगा हुआ है वह जांच का विषय है कि वाकई में यह जीएसटी नम्बर किसी को एलाट हुआ है यदि एलाट हुआ है, तो यह बिल में छपा क्यों नहीं है व्यापारी क्यों सील लगाकर जीएसटी बिलिंग कर रहा है यह एक जांच का विषय है, यदि इस व्यापारी बिलों की जांच की जाए तो शायद करोडो रूपये की हेराफेरी में लाखों रूपये टैक्स चोरी सामने आ सकती है।

करोड़ो रूपये की खरीद बिक्री करने वाले सराफा व्यापारी के द्वारा कच्चा बिल से जेवर खरीद बिक्री करना टेक्स चोरी को प्रदर्शित कर रहा है आखिर कितने रूपये का लेन देन करने वाला व्यापारी कम्प्यूटर से क्यों बिलिंग नहीं कर रहा है यह जांच का विषय है। यदि इस व्यापारी की जांच की जाए तो शासन को शायद लाखो रूपये कर के रूप में मिलेगा।


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