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खदानों की लीज बढ़ाने से चार लाख करोड़ का नुकसान : कांग्रेस

कांग्रेस ने खदानों की लीज अवधि पूर्व प्रभाव से अगले 50 वर्ष तक बढ़ाने लिए सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए आज कहा कि इससे कुछ “दोस्तों” को लाभ पहुंचाया है और देश को चार लाख करोड़ रुपए की हानि हुई है

खदानों की लीज बढ़ाने से चार लाख करोड़ का नुकसान : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने खदानों की लीज अवधि पूर्व प्रभाव से अगले 50 वर्ष तक बढ़ाने लिए सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए आज कहा कि इससे कुछ “दोस्तों” को लाभ पहुंचाया है और देश को चार लाख करोड़ रुपए की हानि हुई है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेडा ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने 358 खदानों के आवंटन की अवधि को अगले 50 वर्ष के लिए बढ़ा दिया है और 288 खदानों की लीज अवधि बढ़ाने के मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि खदानों के अावंटन के लिए नीलामी की प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए। इसे लेकर उच्चतम न्यायालय ने भी नोटिस जारी किये हैं जिनका सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है।

श्री खेडा ने कहा, “ हम ‘एक्चुअल’ बात करते हैं, चार लाख करोड़ रुपए के राजस्व की हानि तो ‘मिनिमम’ मान कर चल रहे हैं कि इस रास्ते पर चलकर आपने इतना नुकसान देश को पहुंचाया है। लाभ किसको हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए। लाभ किसने पहुंचाया, ये प्रश्न सबके सामने है।”

सरकार के इस कदम को देश के संघात्मक ढांचे पर आघात करार देते हुए उन्होंने कहा कि इससे राज्यों को राजस्व प्राप्त करने के अवसर समाप्त हो रहे हैं। खदानों का आवंटन होने से झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को राजस्व मिलता है। केंद्र सरकार ने उनके राजस्व के रास्ते बंद कर दिये हैं। खदानों के आवंटन से राज्यों को ज्यादा राजस्व मिल सकता था।

उन्होंने कहा कि सरकार एक सौ दिन पूरा होने का जश्न मना रही है और अपनी उपलब्धियां गिना रही है लेकिन खदानों के आवंटन की प्रक्रिया में बदलाव किये जाने के संबंध में कुछ नहीं बोल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसी संस्थाओं का वजूद समाप्त हो गया है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार निर्णय करने और उन्हें लागू करने में प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रही है। इससे पारदर्शिता का अभाव हो गया है। संसद में आनन फानन में विधेयक पारित कराये गये जिनके तहत ऐसे निर्णय लिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने खदान आवंटन से संबंधित कानून में बदलाव कर दिया है। वास्तव में सरकार कुछ उद्योगपतियों के हित साधना चाहती है। सरकार को इन निर्णयों से लाभान्वित होने वाले उद्योगपतियों के नाम बताने चाहिए।

श्री खेडा ने कहा कि अगर इस संपदा की नीलामी होती तो देश और राज्य सरकारों को वास्तविक लाभ होता। यह ऐसा विकल्प नहीं जिससे सरकार ने कोई बहुत आर्थिक बचत कर ली हो। उन्होेंने आरोप लगाया , “ ये सिर्फ आपके कुछ दोस्तों को लाभ पहुंचाने की चेष्ठा है, और कुछ नहीं है।” उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए और दोषियों को सजा दी जानी चाहिए। सरकार खजाने का नुकसान हुआ है और इससे कार्रवाई होनी चाहिए।


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