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हारे हुए इमरान खान हार नहीं मानेंगे, इस्तीफा नहीं देंगे!

पाकिस्तान के 'हारे हुए' प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया कि वह एकजुट विपक्ष से हार गए, लेकिन हार नहीं मानेंगे

हारे हुए इमरान खान हार नहीं मानेंगे, इस्तीफा नहीं देंगे!
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नई दिल्ली। पाकिस्तान के 'हारे हुए' प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया कि वह एकजुट विपक्ष से हार गए, लेकिन हार नहीं मानेंगे।

संकट में घिरे पीएम इमरान खान ने पाकिस्तान के एआरवाई न्यूज से कहा, "मैं इस्तीफा देने के बारे में सोच भी नहीं सकता और जहां तक अविश्वास प्रस्ताव का सवाल है, मैं अंत तक लड़ने में विश्वास रखता हूं।"

खान ने उन रिपोर्टों की 'पुष्टि' की कि वह पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की अध्यक्षता वाले सैन्य प्रतिष्ठान के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में थे और प्रतिष्ठान ने तीन विकल्प सुझाए थे।

खान ने चैनल को बताया, "उन्होंने तीन विकल्प दिए थे - इस्तीफा, अविश्वास (वोट) या जल्दी चुनाव। मैंने उनसे (बाजवा) कहा कि मैं जल्द चुनाव के लिए तैयार हूं, लेकिन जहां तक अविश्वास प्रस्ताव का सवाल है, मैं इस्तीफा देने के बारे में सोच भी नहीं सकता।"

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने 'फेस सेविंग एक्जिट' के लिए प्रतिष्ठान से संपर्क किया था, तो खान ने दुखी होकर कहा, "जब तक 'स्टैब्लिशमेंट' मामलों को सुलझाना जारी रखता है, तब तक प्रधानमंत्री कौन है, इससे क्या फर्क पड़ता है।"

खान का साक्षात्कार 31 मार्च को राष्ट्र के नाम उनके संबोधन की तरह था, जो बयानबाजी और थोड़े सार से भरा था। सत्ता से बाहर करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश का आरोप लगाने के बाद खान ने खुद अपना सार्वजनिक बयान दोहराया कि उन्हें अपने जीवन को लेकर एक कोशिश का डर है।

खान ने कहा, "मेरे परिवार के खिलाफ गलत बातें फैलाई जा रही हैं। मेरी पत्नी के चरित्र की हत्या की जा रही है और मेरी जान को भी खतरा है।"

यह जानते हुए कि उन्हें रविवार को नीचे जाना है, अहंकारी खान सत्ता में बने रहने के लिए व्यर्थ प्रयास कर रहे हैं।

अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इमरान खान रविवार को पाकिस्तानी नेशनल असेंबली से अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद अपने सभी सदस्यों के साथ इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।

अगर खान के 155 सत्तारूढ़ दल के सदस्य नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे देते हैं, तो नई सरकार 'खतरे' में होगी। इतनी बड़ी संख्या में उपचुनाव कराना मुश्किल होगा। यही अभ्यास पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में एक साथ किया जाएगा, जहां खान की पार्टी सत्ता में है।

नई सरकार के पास तत्काल चुनावों के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा और खान को लगता है कि चुनाव में जाने से उन्हें तुरंत फायदा होगा।

खान पहले ही अपने सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव में भाग लेने से रोक चुके हैं।

लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी पार्टी के सदस्य उनकी योजना से सहमत होंगे, एक डूबते हुए खान के खिलाफ जनविद्रोह की कल्पना नहीं की जा सकती है? हो सकता है कि उनकी पार्टी के अधिकांश लोग समय से पहले चुनाव कराने के इच्छुक न हों। कई 'असंतुष्ट' सदस्य जाहिर तौर पर विपक्ष के संपर्क में हैं और इमरान खान के खिलाफ बगावत करने का फैसला कर सकते हैं।

विपक्ष का दावा है कि उनके पास अब तक 199 सदस्य हैं और यह मानने का कोई कारण नहीं है कि वे रविवार को अधिक संख्या में नहीं जुट सकते।

विपक्षी नेताओं ने सेना सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों से भी संपर्क किया है, ताकि रविवार को संसद में जाने पर पार्टी से जुड़े हर सांसद की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। रविवार को संसद के बाहर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान एक लाख समर्थकों को इकट्ठा करने के लिए खान के आह्वान का जिक्र करते हुए विपक्षी नेता और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार शहबाज शरीफ ने सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों को लिखे अपने पत्र में कहा कि ऐसी कोई भी सभा 18 मार्च के आदेश का घोर उल्लंघन होगा जो सीआरपीसी की धारा 144 के तहत रेड जोन के अंदर पांच या अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर रोक लगाता है।

उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की कोई भी सभा अनिवार्य रूप से अन्य दलों को आत्मरक्षा के लिए अपने समर्थकों को लाने के लिए उकसाएगी, जिससे राजधानी में खूब-खराबा और अराजकता फैल सकती है।


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