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लोकायुक्त ने हाईकोर्ट से माफी मांगी कहा-आदेश समझने में हुई गलती

एडीजी मुकेश गुप्ता की अवमानना याचिका पर आज लोक आयुक्त ने हाईकोर्ट ने आदेश को समझने में हुई चूक कहते हुए हाईकोर्ट से माफी मांग ली

लोकायुक्त ने हाईकोर्ट से माफी मांगी कहा-आदेश समझने में हुई गलती
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एडीजी मुकेश गुप्ता की संपत्ति मामले में अवमानना

बिलासपुर। एडीजी मुकेश गुप्ता की अवमानना याचिका पर आज लोक आयुक्त ने हाईकोर्ट ने आदेश को समझने में हुई चूक कहते हुए हाईकोर्ट से माफी मांग ली, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

जानकारी के अनुसार एडीजी मुकेश गुप्ता की संपत्ति की जांच मामले में लोक आयोग ने आज हाईकोर्ट से माफी मांग ली। लोक आयोग ने जांच की अनुशंसा करते हुए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था जिसके खिलाफ मुकेश गुप्ता की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्थगन दे दिया था।

स्थगन के बाद भी लोक आयोग द्वारा केन्द्र सरकार से पत्र व्यवहार किया गया। मुकेश गुप्ता द्वारा इसे कोर्ट की अवमानना बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिस पर हाईकोर्ट ने लोक आयोग से जवाब तलब किया। लोक आयोग ने स्पष्टीकरण देते हुए हाईकोर्ट वे माफी मांगी और बताया कि आदेश को समझने में गलती हुई।

लोक आयोग ने शिकायत पर एडीजी मुकेश गुप्ता के खिलाफ जांच शुरू करने के साथ ही नोटिस जारी कर उनके व परिजनों की संपंत्ति की जानकारी मांगी थी। लोक आयोग ने 28 अपै्रल 2017 को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई जांच कराने राज्य शासन द्वारा अनुशंसा भेजे जाने की बात कही थी। आयोग ने 12 अक्टूबर 2017 मुकेश गुप्ता को नोटिस जारी कर उनके और उनके परिजनों की संपत्ति की जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिए थे।

गुप्ता ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में चाचिका लगाई थी। 31 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट ने लोक आयोग द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाते हुए राज्य शासन, डीजीपी, आईजी और लोक आयोग को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।

आज लोक आयुक्त ने हाईकोर्ट से माफी मांगते हुए बताया कि मुकेश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई और उस पर दिए गए स्थगन की जानकारी 2 नवम्बर को मिली जिसे हम समझ नहीं सके इसके लिए माफी मांगते है।

लोक आयुक्त ने हाईकोर्ट से कहा कि आगामी आदेश तक एडीजी मुकेश गुप्ता के विरूद्ध किसी भी तरह की जांच के लिए केन्द्र सरकार या दूसरी जांच एजेंसी से कुछ नहीं कहा जाएगा। इस तरह हाईकोर्ट ने लोक आयुक्त के माफीनामा को स्वीकार कर लिया।


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