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लोकसभा ने एनआईए संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दी

अमित शाह ने कहा कि इस विषय पर सदन में डिविजन होना चाहिए ताकि देश को पता चल कि कौन आतंकवाद के पक्ष में है और कौन इसके खिलाफ

लोकसभा ने एनआईए संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दी
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नयी दिल्ली। सरकार ने आतंकवाद को समूल नाश करने की प्रतिबद्धता जताते हुए लोकसभा में आज कहा कि आतंकवादी गतिविधियों के दोषी को बख्शा नहीं जायेगा, भले ही वह किसी भी जाति, धर्म, सम्प्रदाय या क्षेत्र का क्यों न हो। सरकार ने पाकिस्तान जैसे देश के बाज न आने पर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट की तरह एयर स्ट्राइक के रास्ते भी अपनाने का संकल्प दोहराया।

गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए संबंधित विधेयक के कानून बनने के बाद दुरुपयोग की सदस्यों की आशंकाओं को निर्मूल करार देते हुए सदन को आश्वस्त किया कि प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग उनकी सरकार कतई नहीं होने देगी।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद खत्म करना मोदी सरकार का सर्वोच्च लक्ष्य है और उसे भेदने की दिशा में वह हरसंभव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों का जो भी दोषी पाया जायेगा उसे बख्शा नहीं जायेगा, भले ही वह किसी भी जाति, धर्म, सम्प्रदाय या क्षेत्र का क्यों न हो।

आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) को निरस्त करने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने वोट बैंक की खातिर पोटा को निरस्त किया था। पोटा ऐसा कानून था, जिससे आतंकवादी के मन में भय पैदा होता था, लेकिन 2004 में सत्ता में आते ही संप्रग सरकार ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही उसे निरस्त करने का निर्णय लिया था।

शाह ने कहा कि पोटा को निरस्त करना उचित कदम नहीं था। विभिन्न जाँच और अभियोजन एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का भी मानना था कि पोटा को निरस्त नहीं किया जाना चाहिये था। उन्होंने कहा कि पोटा को निरस्त करने का नतीजा यह हुआ कि 2004 से 2008 के बीच आतंकवाद इतना बढ़ा कि मुंबई के आतंकवादी हमलों के बाद खुद संप्रग सरकार को ही एनआईए की स्थापना करनी पड़ी।

गृह मंत्री ने कहा कि यदि पोटा निरस्त नहीं किया गया होता तो शायद मुंबई का वह कुख्यात आतंकवादी हमला नहीं होता, जिसमें आतंकवादियों ने कई घंटों तक मुंबई शहर के विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाया था।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे कम से कम ऐसे विधेयकों पर राजनीति से ऊपर उठकर एवं सदन में एकमत होकर विचार करें, ताकि आतंकवादियों तक यह संदेश जाये कि ऐसे मामले में पूरा देश एक है। उन्होंने कहा, “यदि ऐसे मुद्दों पर हम एक आवाज में नहीं बोलेंगे तो आतंकवादियों की हिम्मत बढ़ेगी और वे आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देंगे।

उन्होंने प्रस्तावित कानून के पारित होने से एनआईए को विदेशों में भी जाँच का अधिकार मिलने की बात करते हुए कहा कि जिस देश तक एनआईए नहीं पहुँच सकेगी वहाँ बालाकोट जैसे स्ट्राइक करने का भी सरकार माद्दा रखती है।



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