इटावा में टिड्डी दल का हमला
उत्तर प्रदेश के इटावा में रविवार दोपहर टिड्डी दल ने हमला किया और बड़ी तादाद में फसलों को नुकसान पहुंचाया

इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा में रविवार दोपहर टिड्डी दल ने हमला किया और बड़ी तादाद में फसलों को नुकसान पहुंचाया।
जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि टिड्डी दल के हमले की आशंका के चलते पहले ही अधिकारियों को सजग किया हुआ था। दोपहर करीब ढाई बजे के करीब टिड्डी दल की दस्तक आगरा सीमा की ओर से पछायगॉव की ओर से हुई। टिड्डी दल को लेकर जिला प्रशासन और कृषि विभाग एलर्ट हो गया है। जिला प्रशासन ने किसानों को एलर्ट करते हुए एडवाइजरी जारी कर दी है।
उपजिलाधिकारी सदर सिद्धार्थ ने बताया कि आगरा की तरफ से टिड्डियों का दल जसवन्तनगर और पछायगॉव क्षेत्र से दाखिल हो चुका है। किसानो को बताया गया है कि ड्रम, थाली, बैंड बाजा आदि का शोर करने से टिड्डी दल भाग जाता है और इस तरीके से किसान अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते है। रात्रि के लिए कृषि विभाग समेत अन्य विभागों को एलर्ट कर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रो में स्प्रे का छिड़काव करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल एक या दो दिन में जिले से आगे पलायन कर जाएगा इस बीच किसानों को खेत मे खड़ी फसल बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए है। सीडीओ राजा गणपति आर ने बताया कि इटावा तक पहुंचने वाले टिड्डों को ध्वनि द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। रात के समय और सुबह के समय, जब टिड्डे पेड़ों में कहीं बैठते हैं, तो इसे रसायन छिड़काव करके नष्ट किया जा सकता है। इटावा के कृषि विभाग के समन्वय में जिला प्रशासन फायर ब्रिगेड और पानी के टैंकर तैयार करवाकर पूरी तैयारी में है। घबराने की कोई बात नहीं है।
जिला प्रभागीय वन अधिकारी राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि टिड्डी दल के हमले के बाद वन विभाग की टीम को भी सजग और सक्रिय कर दिया गया है।टिड्डी दल फिसर वन इलाके में प्रवेश कर गया है जिनके पीछे विभाग के कर्मचारी और अधिकारी उनको भगाने में जुटे हुए हैं ।
कई लाख की तादाद में टिड्डियों का दल सैफई गांव के ऊपर उड़ता हुआ देखा गया। गांव वालों ने मोबाइल कैमरे पर टिड्डी दल को कैद भी किया है। इटावा के यमुना नदी के किनारे बसे तलहटी गॉव के वासी ब्रह्मा शंकर ने बताया कि टिड्डी दल खेत खलिहान में फसलों को नष्ट करते हुए देखा जा रहा है । चंबल इलाके के नगला बीरबल के पास टिड्डी दल का प्रभाव इस कदर छा गया कि दोपहर में ही अंधेरे का एहसास लोगों को होने लगा ।


