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झारखंड के सिमडेगा में हॉकी टूर्नामेंट के दौरान वज्रपात, तीन खिलाड़ियों की मौत, पांच जख्मी

सिमडेगा जिले के कोलेबिरा क्षेत्र अंतर्गत टूटिकेल-झपला गांव में बुधवार को एक हॉकी टूर्नामेंट के दौरान वज्रपात से तीन युवा खिलाड़ियों की मौत हो गई

झारखंड के सिमडेगा में हॉकी टूर्नामेंट के दौरान वज्रपात, तीन खिलाड़ियों की मौत, पांच जख्मी
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रांची। सिमडेगा जिले के कोलेबिरा क्षेत्र अंतर्गत टूटिकेल-झपला गांव में बुधवार को एक हॉकी टूर्नामेंट के दौरान वज्रपात से तीन युवा खिलाड़ियों की मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना में पांच अन्य लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जिन्हें इलाज के लिए हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है।

बताया गया कि टूर्नामेंट का मैच शुरू होने के पहले बारिश होने लगी, तो वहां मौजूद खिलाड़ी और अन्य लोग बारिश से बचने के लिए एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए। इसी दौरान वज्रपात हुआ और आठ लोग इसकी चपेट में आ गए। तीन खिलाड़ियों सेनंन डांग, निर्मल होरो और अनीस की मौके पर ही मौत हो गई।

जख्मी हुए लोगों में क्लेमेंट बागे, जैलेश बागे, सलीम बागे, पतरस बागे और पतिराम शामिल हैं। घटना की सूचना मिलने के बाद मेडिकल टीम और पुलिस की टीम तुरंत घटनास्थल पहुंची और घायलों को कोलेबिरा अस्पताल भेजा गया। घटना के बाद गांव में कोहराम मचा है।

मृत खिलाड़ियों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। कोलेबिरा सीओ अनूप कच्छप, जिला परिषद अध्यक्ष रोस प्रतिमा सोरेंग, प्रखंड प्रमुख दुतमी हेमरोम सहित कई लोग कोलेबिरा अस्पताल पहुंचे हैं।

बता दें कि झारखंड में इस साल मई से लेकर अब तक वज्रपात की अलग-अलग घटनाओं में 60 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। बारिश के साथ ही आसमानी बिजलियों के कहर का यह सिलसिला झारखंड के लिए बड़ी आपदा बन गया है। भारतीय मौसम विभाग ने थंडरिंग और लाइटनिंग के खतरों को लेकर देश के जिन छह राज्यों को सबसे संवेदनशील के तौर पर चिन्हित किया है, झारखंड भी उनमें एक है।

आसमानी बिजली का कहर झारखंड के लिए एक बड़ी आपदा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में हर साल करीब साढ़े चार लाख वज्रपात की घटनाएं होती हैं। वर्ष 2021-22 में झारखंड में वज्रपात की 4 लाख 39 हजार 828 घटनाएं मौसम विभाग ने रिकॉर्ड की थी। इसके पहले 2020-21 में राज्य में लगभग साढ़े चार लाख बार वज्रपात हुआ था। इस साल वज्रपात से 322 मौतें दर्ज की गई थीं।

क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन मौतों में से 96 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से थी और पीड़ितों में से 77 प्रतिशत किसान थे। दरअसल, किसान पहाड़ी-पठारी क्षेत्रों में ऊंचे पेड़ों से घिरे खुले खेतों में काम करते हैं और उन तक वज्रपात के खतरे से अलर्ट करने की सूचनाएं पहुंच नहीं पाती। हालांकि मौसम विभाग इसे लेकर नियमित तौर पर अलर्ट जारी करता है, लेकिन जागरूकता की कमी इसमें बड़ी बाधा है।


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