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भारत में आसमानी बिजली से हर साल 2,000 लोगों की जान जाती है : विशेषज्ञ

आईएमडी और एनडीएमए के शीर्ष विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश के दौरान आसमानी बिजली गिरने से देश में हर साल 2,000 से अधिक मौतें होती हैं

भारत में आसमानी बिजली से हर साल 2,000 लोगों की जान जाती है : विशेषज्ञ
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मुंबई। आईएमडी और एनडीएमए के शीर्ष विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश के दौरान आसमानी बिजली गिरने से देश में हर साल 2,000 से अधिक मौतें होती हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य राजेंद्र सिंह ने भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी द्वारा इस मुद्दे पर आयोजित एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिजली गिरने से मरने वालों की संख्या और नुकसान में वृद्धि देखी गई है।

सिंह ने कहा, "वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के कारण बेहतर समझ, निगरानी और भविष्यवाणी क्षमताओं के बावजूद, बिजली और आंधी अभी भी देश में हर साल बड़े पैमाने पर जीवन और संपत्ति का नुकसान करती है।"

भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक, मृत्युंजय महापात्र ने बिजली गिरने को 'एक गंभीर खतरा' करार देते हुए कहा कि यह मुख्य रूप से लोगों, विशेष रूप से किसानों, मछुआरों और मजदूरों के बढ़ते जोखिम के कारण होता है, जो आजीविका के कारणों से बाहर रहते हैं।

महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के आपदा विशेषज्ञों और प्रबंधकों को संबोधित करते हुए, सिंह ने कहा कि बिजली गिरने से मानव जीवन और संपत्ति का नुकसान काफी अधिक है, और यह विश्व स्तर पर बवंडर या तूफान में मारे गए लोगों की संख्या से अधिक है।

वैज्ञानिकों की संयुक्त पहल के तहत 2018 में एक बिजली चेतावनी प्रणाली विकसित की गई थी, जिसमें किसी इलाके में आसमान में गरज, प्रकाश की कौंध आंधी, तेज हवाओं या ओलावृष्टि की घटना के बारे में 48 घंटे पहले पूवार्नुमान लगाना संभव हुआ।

इसके अलावा, आईएमडी के पास देशभर में लगभग 30 रडार हैं जो हर 10 मिनट में मौसम अपडेट प्रदान करते हैं, साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह इन्सैट-3 डीआर से हर 15 मिनट में संवहनी बादलों के बारे में जानकारी देते हैं।

देश अब संभावित खतरों के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए हर 5 मिनट में बिजली के बारे में 'रियल-टाइम' जानकारी अपडेट करने में सक्षम है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा विकसित मॉडल बहुत निश्चित हैं और इसका उपयोग देशभर के पूवार्नुमानकर्ताओं द्वारा हर तीन घंटे में देश के प्रत्येक जिले के लिए विस्तृत जानकारी देने के लिए किया जाता है।


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