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सूरज की रोशनी से जलेगी बिजली, चलेंगे रेलगाड़ी के पंखे

भारतीय रेलवे ने बिजली की खपत कम करने के लिए रेलगाड़ी में पंखे आदि चलाने के लिए सौर ऊर्जा प्रणाली को विकसित किया है

सूरज की रोशनी से जलेगी बिजली, चलेंगे रेलगाड़ी के पंखे
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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने बिजली की खपत कम करने के लिए रेलगाड़ी में पंखे आदि चलाने के लिए सौर ऊर्जा प्रणाली को विकसित किया है। हालांकि अभी यह उपनगरीय रेलगाड़ी में शुरू किया गया है और आज इस ट्रेन को दिल्ली सराय रोहिल्ला से गुरुग्राम के फरुखनगर के बीच रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने हरी झंडी दिखाई।

चेन्नई के रेल कोच फैक्ट्री में तैयार इस रेलगाड़ी के अगले छह माह में और 24 कोच बनकर तैयार हो जाएंगे। सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन से पर्यावरण के साथ ईंधन की बचत व पर्यावरण की रक्षा भी होगी।

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक इससे छह कोच वाली एक डेमू ट्रेन से सालाना 21 हजार लीटर डीजल की बचत होगी। उपनगरीय रेलगाडिय़ों में पहली बार बायोटॉयलेट की सुविधा दी गई है तो वहीं यह पहली डेमू ट्रेन है जिसमें यात्रियों के चढ़ने-उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हैं। साथ ही सभी कोच एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलने वाली इस ट्रेन में बैटरी भी लगी है। इससे रात में अथवा मानसून, सर्दियों में सूर्य की कम उपस्थिति में ऊर्जा की कमी नहीं होगी।

सौर ऊर्जा होने की वजह से सालाना नौ टन कार्बन डाइऑक्साइड की बचत भी होगी जिसका पर्यावरण संरक्षण को होगा। इस मौके पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि हमने पहले बजट में ही इस ट्रेन की घोषणा की थी। हमें स्वच्छ ईंधन की ओर बढऩा है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में सभी ट्रेनों सोलर पैनल लगेंगे। हम एनर्जी स्टोरेज क्षमता बढ़ा रहे हैं इसमें हमें सुविधा होगी। इससे डीजल और राजस्व दोनों की बचत होगी। जल्द ही एक और ट्रेन यात्रियों के लिए ला रहे हैं। इस ट्रेन को आईसीएफ चेन्नई में बनाया गया है और अधिकतम 110 किलोमीटर प्रति घन्टे की रफ्तार से चल सकती है। इसके एक कोच को बनाने में नौ लाख रुपए लागत आई है, इसमें दो लाख रुपए प्रति कोच की बचत हुई है। एक ट्रेन को 10 कोच से तैयार किया गया है और इसकी 35 साल आयु आंकी जाती है। ट्रेन में डिजिटल डिस्प्ले व जीपीएस से लैस एलईडी लगे हुए हैं व कुल 16 सोलर पैनल लगे हैं। अधिकारी मानते हैं कि दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है कि सोलर पैनलों का इस्तेमाल रेलवे में ग्रिड के रूप में हो रहा है। ट्रेन में पावर बैक-अप ऑप्शन है और यह बैटरी पर 72 घंटे तक का सफर पूरी कर सकती है।


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