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हल्के लड़ाकू विमान 'तेजस' एयरोस्पेस उद्योग के लिए परिवर्तनकारी : राजनाथ सिंह

हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस, एयरोस्पेस उद्योग के लिए बड़ा परिवर्तनकारी है

हल्के लड़ाकू विमान तेजस एयरोस्पेस उद्योग के लिए परिवर्तनकारी : राजनाथ सिंह
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नई दिल्ली। हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस, एयरोस्पेस उद्योग के लिए बड़ा परिवर्तनकारी है। एक अत्यधिक सक्षम हवाई मंच, हल्के लड़ाकू विमान तेजस का उड़ान सुरक्षा में एक सराहनीय रिकॉर्ड है। इसकी सफलता के आधार पर, सरकार ने अब भारतीय वायु सेना के लिए एलसीए-एमके टू को स्वीकृति दे दी है, जबकि भारतीय नौसेना के लिए दोहरे इंजन डेक आधारित लड़ाकू विमान पर विचार किया जा रहा है। यह जानकारी मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी।

बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया 2023 में राजनाथ सिंह ने कहा, हमने 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ एयरक्राफ्ट के रूप में एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के डिजाइन और विनिर्माण की राह पर भी आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। चाहे जल हो, जमीन हो या आसमान हो, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन-डीआरडीओ सुरक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में हमेशा सबसे आगे रहा है।

रक्षा मंत्रालय एयरोस्पेस क्षेत्र को प्रोत्साहन और आत्मनिर्भरता प्रदान करने के लिए एयरो-इंजनों के स्वदेशी निर्माण पर काम कर रहा है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित करने का समय है कि भारतीय विमान स्वदेश निर्मित इंजनों के साथ उड़ान भरें। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, स्टील्थ, हाइपरसोनिक और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आवश्यक हथियार प्रणालियों के स्वदेशी डिजाइन और विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) अपनी क्षमता और समर्पण के साथ जल्द ही उस दिशा में तेजी से प्रगति करेगा और अपनी उपलब्धियों की सूची में 'पृथ्वी', 'आकाश' और 'अग्नि' मिसाइलों को शामिल करेगा।

राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ से अल्पकालिक, मध्यावधि और दीर्घकालिक लक्ष्यों को निर्धारित करने और विध्वंस करने वाले, अत्याधुनिक या सीमांत प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब हम दुनिया के सबसे मजबूत देशों में से एक बनने की ओर बढ़ रहे हैं, तो हमें किसी भी नई चुनौती का सामना करने में सक्षम अगले स्तर के सशस्त्र बलों का मजबूत समर्थन मिलना चाहिए।

उन्होंने हेलीकॉप्टर, तापस जैसी हथियार प्रणाली, एयरबोर्न अर्ली वानिर्ंग एंड कंट्रोल (एईडब्ल्यू एंड सी) प्रणाली, मीडियम रेंज आर्टिलरी गन और रडार सहित कुछ उल्लेखनीय चीजों की गणना की। उन्होंने कहा कि दुनिया इन उपलब्धियों को पहचान रही है, कई देश भारत से रक्षा उपकरण आयात कर रहे हैं और कई अन्य देश हथियार प्रणाली हासिल करने की प्रक्रिया में हैं।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने कई महत्वपूर्ण प्रणालियों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के लिए लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर करके उद्योगों को नवीनतम रक्षा तकनीकों से सुसज्जित किया है। इसने 10 डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित 12 प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिए 18 भारतीय उद्योगों को 18 प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के समझौते सौंपे हैं।

यहां ठोस रॉकेट और मिसाइल प्रणाली के गैर-विनाशकारी मूल्यांकन शीर्षक वाला रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन मोनोग्राफ और एआर एंड डीबी की पत्रिका भी जारी की गई। तेजस के एयरक्राफ्ट माउंटेड एसेसरीज गियर बॉक्स (एएमएजीबी) के लिए कॉम्बैट वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान-सीवीआरडीई द्वारा विकसित एयरक्राफ्ट बियरिंग्स के लिए सैन्य उड़नयोग्यता और प्रमाणन केंद्र-सीईएमआईएलएसी सर्टिफिकेट भी सौंपा गया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. जी सतीश रेड्डी भी उपस्थित थे।


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