दिल की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित चार माह के बच्चे को मिला जीवन
जेपी अस्पताल के पीडिएट्रिक कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पाकिस्तान के लाहौर से आए चार महीने के बच्चे रोहन को नई जिंदगी दी है

ग्रेटर नोएडा। जेपी अस्पताल के पीडिएट्रिक कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने पाकिस्तान के लाहौर से आए चार महीने के बच्चे रोहन को नई जिंदगी दी है। रोहन दिल की घातक बीमारी हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम से पीड़ित था। रोहन के माता-पिता को बच्चे के इलाज के लिए भारतीय मेडिकल वीजा नहीं मिल पा रहा था।
तभी रोहन के पिता ने ट्वीट के जरिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अपील की। सुषमा ने बेबी रोहन के लिए तुरंत मेडिकल वीजा लगवाया और परिवार 24 घण्टे के अंदर इलाज के लिए भारत पहुंच गया।
7 सितम्बर 2017 को रोहन को जेपी अस्पताल लाया गया, जहां पीडिएट्रिक कार्डियोलोजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. राजेश शर्मा की टीम ने 8 सितम्बर 2017 को बच्चे की सर्जरी की। बेबी रोहन अब ठीक हो रहा है और छुट्टी के एक महीने बाद जनवरी के पहले सप्ताह में पाकिस्तान लौट जाएगा।
मरीज की बीमारी के बारे में बताते हुए जेपी अस्पताल में पीडिएट्रिक कार्डियोलोजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि रोहन एक दुर्लभ जन्मजात दिल की बीमारी से पीड़ित था। जब वह सिर्फ पांच दिन का था तभी उसमें हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम का निदान किया गया। यह दिल की ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भ के विकास के दौरान बच्चे के दिल में रक्त का सामान्य प्रवाह नहीं हो पाता। रोहन का जीवन खतरे में था, क्योंकि उसके दिल का बायां हिस्सा विकसित नहीं हुआ था। जिसके चलते उसके फेफड़ों पर भी दबाव बन रहा था। शुरूआत से ही उसे सांस लेने में दिक्कत आ रही थी और उसका वजन भी नहीं बढ़ रहा था।
बच्चे को धीरे-धीरे वेंटीलेशन से हटाया गया, लेकिन वेंटीलेटर सपोर्ट हटाने से उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी। इसके लिए टेकियोस्टोमी की गई, जिसे सर्जरी के 15 दिन बाद हटा लिया गया और रोहन को सामान्य वार्ड में भेज दिया गया। डॉ. राजेश शर्मा ने कहा कि एक हजार में से एक बच्चा इस तरह की दिल की बीमारी से पीड़ित होता है। ऐसे मामलों में सलाह दी जाती है कि जल्द से जल्द बच्चे को सही इलाज मिले।


