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जीवन रूकने का नहीं, चलने का नाम है: ऋचा अनिरूद्ध

जीवन रूकने का नहीं, चलने का नाम है

जीवन रूकने का नहीं, चलने का नाम है: ऋचा अनिरूद्ध
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नयी दिल्ली। जीवन रूकने का नहीं, चलने का नाम है। हर मां किसी भी परिस्थिति में अपने बच्चों को सबसे सुरक्षित तरीके से लालन पालन करती है। यदि आपका बच्चा किसी रोग वह भी ऑप्टिज्म जैसे बीमारियों की चपेट में हो, तो उस मां का संघर्ष कई गुना अधिक हो जाता है। ऐसे बच्चों की मां को अन्य मां से अधिक मेहनत करना होता है। उन्हें अपने बच्चों के साथ परिवार और समाज का अधिक ख्याल रखना होता है।

ऑप्टिज्म पीडित बच्चों के देखभाल पर आधारित पुस्तक ‘ बोल हल्के हल्के भाग 3 ’ के विमोचन के अवसर पर ये विचार वक्ताओं ने रखा। राजधानी में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में पत्रकार ऋचा अनिरूद्ध ने पुस्तक को लोकार्पित किया। इस पुस्तक की लेखिका आरती हैं। मूल रूप से दरभंगा की निवासी और पटना विमेंस काॅलेज से शिक्षित आरती ने इससे पहले भी इसी नाम से दो पुस्तकें लिखीं हैं।

वो कहती हैं कि क्यायह पुस्तक मैं उन सभी स्पेशल बच्चों को समर्पित करती हूं, जिनकी अनोखी दुनिया का हिस्सा बनने के बाद मैंने जाना कि विशिष्टता एक उपहार है। जरूरत है बस उस उपहार को खोज निकालने की। मैंने अपने बेटे के इलाज के दौरान जो देखा और समझा, उसे इस पुस्तक में लिखा है। आरती कहती हैं कि हर माता-पिता के लिए इसकी थैरेपी कराना आसान नहीं है। मैंने अपने अनुभव को आसान शब्दों और चित्रों के माध्यम से इस पुस्तक में बताया है, ताकि मेरी जैसी दूसरी मां और अभिभावक इससे लाभान्वित हो सके।

पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर ऋचा अनिरूद्ध ने कई अनुभवों का जिक्र किया और कहा कि जीवन चलने का नाम है। इस पुस्तक के माध्यम से जिस प्रकार से आरती ने अपने संघर्ष को समाज के लिए एक संदेश बना दिया है, उसका प्रचार प्रचार करना हम सब की जिम्मेदारी है। ताकि इसका लाभ अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को है। उन्होंने कहा कि समाज के यदि कोई बच्चा किसी प्रकार से कमजोर हो जाए, तो लोग अपने बच्चों को उसके साथ खेलने तक नहीं देते।

उसके परिवार को कई बार बुरा भला कहते हैं जबकि हमें यह सोच बदलनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में ऋचा ने कहा कि मैंने अपने कार्यक्रम के दौरान कई लोगों के अनुभवों को जिया और समझा है। हम किसी को हीन नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी है कि हमारा और आपका आत्मबल। उससे ही हम समाज को कुछ नया दे सकते हैं।

पुस्तक लोकार्पण के बाद लेखिका के पति और ज्वाइंट कमिश्नर वाणिज्य कर कुमार आनंद ने आगंतुकों और अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के जरिए समाज को जो नई दिशा देने का काम आरती कर रही है, वह हमारे लिए भी प्रेरणास्पद है। किसी भी नेक कार्य के लिए समाज के हर एक वर्ग की भागीदारी जरूरी है।


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