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मप्र में कोरोना के भय के बीच पटरी पर लौटी जिंदगी 

मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चार चरणों के बाद अब सोमवार से अनलॉक का पहला चरण शुरू हो गया

भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चार चरणों के बाद अब सोमवार से अनलॉक का पहला चरण शुरू हो गया। पहले दिन सड़कों से लेकर बाजार और दफ्तरों में बढ़ी गतिविधियों से जिंदगी पटरी पर लौटती दिखी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।

राज्य में सार्वजनिक परिवहन को छोड़कर निजी वाहनों से पूरे प्रदेश में आने-जाने की छूट मिल गई है और कहीं भी जाने के लिए ई-पास की जरूरत नहीं है। अनलॉक के पहले चरण में सोमवार को सड़कों पर लगभग दो माह बाद चहल-पहल नजर आई। बाजारों में लोगों की निर्बाध आवाजाही जारी रही। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोगों ने बाजारों में खरीदी की।

हालांकि इस दौरान लोगों के चेहरों पर बीमारी का भय साफ नजर आ रहा था। विभिन्न दुकानों पर पहुंचे लोग दो गज की दूरी बनाए रखने के लिए जद्दोजहद करते नजर आए, वहीं कुछ लोगों ने दूरी को खास महत्व नहीं दिया। इसके अलावा लोगों में मास्क से लेकर सैनिटाइजर का उपयेाग करने के प्रति जागरूकता देखी गई है।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मिश्रा का कहना है कि "लॉकडाउन के चार चरण पूरे होने के दौरान सावधानी और परेशानी दोनों ही लोगों के सामने आ चुकी है। इसलिए जरूरी है कि अनलॉक के पहले चरण का सावधानी, बुद्घिमानी और योग्यता से पालन करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर इस महामारी का मुकाबला करने के लिए जनता की भागीदारी रही। उन्होंने जनता का मनोबल बढ़ाया और कोरोना को हराया।"

राजधानी के शिवाजी नगर में एक दुकानदार महेश कुमार का कहना है कि "कोरोना से बचने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ग्राहकों को सामान दिया जा रहा है। सरकार द्वारा अनलॉक का पहला चरण शुरू किए जाने से लोगों में एक तरफ जहां कोरोना का भय कम होगा वहीं सोशल डिस्टेंसिंग के साथ और तमाम एहतियात बरतते हुए जिंदगी जीने की आदत पड़ेगी।"

विभिन्न औद्योगिक संस्थानों में भी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इन संस्थानों के कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के आधार पर सरकार ने बसें चलाने की भी अनुमति दे दी है। इसके चलते औद्योगिक संस्थानों में भी कर्मचारियों की उपस्थिति बढ़ी है।

राज्य सरकार ने इंदौर, उज्जैन, नीमच और बुरहानपुर के नगरीय क्षेत्रों के बाजारों की एक-चौथाई दुकानें, भोपाल के बाजारों की एक-तिहाई दुकानें बारी-बारी से, देवास, खंडवा नगर निगम तथा धार एवं नीमच नगर पालिका क्षेत्र की आधी-आधी दुकानें बारी-बारी से खुलने की व्यवस्था की है और इसके अलावा प्रदेश के शेष हिस्से में दुकानों के खुलने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

सभी शासकीय और निजी कार्यालय इंदौर, उज्जैन और भोपाल नगर निगम क्षेत्र में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ और शेष प्रदेश में पूरी क्षमता से खुले। स्क्रीनिंग और स्वच्छता का ध्यान रखा जा रहा है। साथ ही थर्मल स्केनिंग, हैंड वाश और सैनिटाइजर का प्रावधान सभी प्रवेश और निकास द्वारों और सामान्य क्षेत्रों में किया गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि "केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चरणबद्घ तरीके से आर्थिक गतिविधियों को संचालित किया जाएगा। अब रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक ही कर्फ्यू रहेगा। इस दौरान आवश्यक गतिविधियों को छोड़कर आवागमन पूरी तरह प्रतिबािंधत रहेगा। अभी शिक्षण संस्थाओं को नहीं खोला जा रहा है।"

इस बीच, तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मी नारायण शर्मा ने सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के फैसले पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि "कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग है, मगर सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों की संख्या बढ़ने से इस पर अमल करने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। वही गर्मी होने से कर्मचारियों के लिए आवश्यक सुविधाओं का भी इंतजाम नहीं है। सरकार का कार्यालयों में उपस्थ्ििात बढ़ाने का फैसला घातक सिद्घ होगा और मरीजों की संख्या भी बढ़ने से रोकी नहीं जा सकेगी, क्योंकि हमारे पास इस बीमारी से लड़ने के लिए आवश्यक साधन नहीं हैं।"


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