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एलएसी विवाद में भारत का पक्ष रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर संभालेंगे सैन्य अकादमी की कमान

लेह में भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह, जिन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एलएसी विवाद में भारतीय प्रतिक्रिया का नेतृत्व किया है, वह अब सैन्य अकादमी का कार्यभार संभालेंगे।

एलएसी विवाद में भारत का पक्ष रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर संभालेंगे सैन्य अकादमी की कमान
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नई दिल्ली | लेह में भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह, जिन्होंने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एलएसी विवाद में भारतीय प्रतिक्रिया का नेतृत्व किया है, वह अब सैन्य अकादमी का कार्यभार संभालेंगे। लेह स्थित मौजूदा 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सिंह, जो सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ सैन्य वार्ता में लगे हुए थे, वह अब एक अक्टूबर से देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी की कमान संभालेंगे।

उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल पी. जी. के. मेनन लेंगे, जो वर्तमान में सेना मुख्यालय में शिकायत सलाहकार बोर्ड (सीएबी) के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में तैनात हैं। वह सेवा निवारण प्रणाली के प्रभारी हैं और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने को सीधे रिपोर्ट करते हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल मेनन हाल ही में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई कोर कमांडर-स्तरीय बैठक का भी हिस्सा थे। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल सिंह पूरी तरह से लगातार पांच कोर कमांडर-स्तरीय बैठकों में चीन के साथ बातचीत में लगे हुए थे। वह पहले दिन से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सेना की एक-एक गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।

21 सितंबर को छठे दौर की बातचीत के दौरान ही लेफ्टिनेंट जनरल मेनन ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ पांच महीने तक चले गतिरोध के प्रस्ताव पर चर्चा करने वाली वार्ता टीम में शामिल हुए।

लेफ्टिनेंट जनरल मेनन ने अतीत में चीन सीमा के लिए जिम्मेदार एक डिवीजन की कमान संभाली थी और पहले ब्रिगेडियर के रूप में 14 कोर में उनका कार्यकाल था।

21 सितंबर को हुई अंतिम बैठक में चीन ने जोर देकर कहा कि भारत को वार्ता से पहले पैंगॉन्ग झील के दक्षिण तट पर रणनीतिक ऊंचाइयों को छोड़ना होगा।

कॉर्प्स कमांडर-स्तरीय वार्ता के दौरान चीन ने भारत से कहा कि जब तक कि भारत रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण स्थानों को खाली नहीं कर देता, तब तक वे पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को खत्म करने के लिए होने वाली चर्चा नहीं करेंगे। एलएसी के पास दोनों देशों की सेनाएं पिछले चार महीनों से आमने-सामने हैं और उनके बीच हिंसक झड़प भी हो चुकी है, जिससे युद्ध जैसी स्थिति भी पैदा हो गई है।

चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिक पहले दक्षिणी तट पर स्थिति को हल करने के लिए अडिग हैं, जहां भारतीय सेना सामरिक रूप से मजबूत स्थिति में है। मगर भारत पूरे लद्दाख क्षेत्र में सैनिकों के पीछे हटने के लिए एक रोडमैप चाहता है। भारत ने दृढ़ता से कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को सही ढंग से निर्धारित किया जाना चाहिए।

भारत ने बातचीत के दौरान कहा कि एलएसी के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में गतिरोध बिंदुओं पर चर्चा की जानी चाहिए।

एक शीर्ष भारतीय सेना अधिकारी ने कहा, "जब पूरे क्षेत्र में ही बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है, तो चर्चा को एक या दो स्थानों तक ही सीमित क्यों रखा जाना चाहिए?"

भारत ने दक्षिणी तट के पास पैंगॉन्ग झील पर महत्वपूर्ण ऊंचाई वाले स्थानों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली है, जिसमें रेचिन ला, रेजांग ला, मुकर्पी शामिल हैं, जहां अब तक किसी भी देश की सेना की पहुंच नहीं थी।

भारत और चीनी सेना के जवानों के बीच 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो चुकी है, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं और कुछ चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं।


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