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औपनिवेशिक कानूनों और विरासतों को बदलने की दिशा में विधायी निकाय कार्य कर रहे हैं : ओम बिरला

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि सम्पूर्ण विश्व उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है

औपनिवेशिक कानूनों और विरासतों को बदलने की दिशा में विधायी निकाय कार्य कर रहे हैं : ओम बिरला
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चेन्नई/ नई दिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि सम्पूर्ण विश्व उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने आधुनिक विचारों का अनुसरण करते हुए युवाओं को प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान और संस्कृति को अपनाने की सीख देते हुए कहा कि नई सोच और नए विचारों के साथ, राष्ट्र आत्मनिर्भर भारत के पथ पर आगे बढ़ रहा है।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरूवार को चेन्नई में एसआरएम विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा एक आजीवन प्रक्रिया है जो लगातार बौद्धिक विस्तार का रास्ता है। बिरला ने जोर देकर कहा कि सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक परिवर्तन लाने में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आजादी के अमृत महोत्सव का उल्लेख करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि इस अमृत काल में हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने पर भारत एक विकसित देश के रूप में दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम हो सके।

बिरला ने दावा किया कि भारतीय युवाओं की बौद्धिक क्षमता तथा उनके वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान के कारण, पूरी दुनिया उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय है और भारत इससे उठने वाली समस्याओं से निपटने में दुनिया का मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि भारतीय युवा इस संकल्प को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।

लोक सभा अध्यक्ष ने युवाओं को विधायी-राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की भागीदारी और सभी के सहयोग से बनता है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से कानूनों और नीतियों में सुधार होता है, जिससे बेहतर शासन और नीतियां बनती हैं। बहस और चर्चा को लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग बताते हुए बिरला ने कहा कि सक्रिय विचार-विमर्श से समाज की बेहतरी होती है और यह युवाओं पर निर्भर है कि समाज कल्याण के लिए प्रभावी समाधान खोजें जिससे एक नए भारत का उदय हो। उन्होंने आगे कहा कि विधायी निकाय औपनिवेशिक कानूनों और विरासतों को बदलने और लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप नए कानूनों को बदलने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।


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