मारुति महायज्ञ में धर सीता कर रूप पर व्याख्यान
सत्संग भवन दूधाधारी मठ में आयोजित 119वां मारुति महायज्ञ के दूसरे दिन कल काष्ठ से काष्ठ पर घर्षण कर अग्नि प्रज्जवलित की गई....

रायपुर। सत्संग भवन दूधाधारी मठ में आयोजित 119वां मारुति महायज्ञ के दूसरे दिन कल काष्ठ से काष्ठ पर घर्षण कर अग्नि प्रज्जवलित की गई। उत्पन्न अग्नि से हवन कुण्ड में अग्निदेव की स्थापित कर यज्ञ की शुरुआत हुई। दिन भर चले यज्ञ पूजन, हवन उपरान्त संध्या संगीतमय प्रवचन का आयोजन हुआ।
प्रवचनकर्ता बाल व्यास पंडित इन्द्रभूषण शास्त्री, आयोध्याधाम के द्वारा भक्ति पर आज व्याख्यान करते हुए पुनि-पुनि विचार कर धर सीता कर रुप की बात करते हुए उन्होंने कथा की शुरुआत पर कहा कि, भगवान शंकर, माता पार्वती के साथ अगस्त मुनि के धाम पर भगवान श्रीराम की कथा श्रवण करने के उद्देष्य से उनके आश्रम पहुंचते हैैं। कथा के अनुसार ऋषि अगस्त मुनि के द्वारा भगवान की कथा कही जाती है, लेकिन कथा में माता पार्वती का ध्यान नहीं लगता एवं उनका मन अन्य विषयों पर लगा रहता है।
कथा श्रवण उपरान्त भगवान शिव व माता पार्वती कैलाश पर्वत की ओर वापस जाते रहते हैं, भगवान की भूरि-भूरि प्रषंसा जब शिवजी करते हैं तब पार्वती जी के मन में भगवान श्रीराम की परीक्षा लेने का विचार आता है। इस विचार के आते ही माता पार्वती, सीता का रुप धर कर भगवान श्रीराम के पास पहुंचती हैं। कथानुसार भगवान श्रीराम सीता रुप रखे माता पार्वती को सम्मुख देख प्रणाम करने खड़े हो जाते हैं। भगवान श्रीराम के द्वारा माता पार्वती को पहचान लिये जाने से माता पार्वती भगवान को प्रत्यक्ष जान लेती हैं और अपनी गलती पर खुद ही खेद जताती है।
उक्त जानकारी समिति के प्रमुख सुरेश शुक्ला ने दी। पुनि-पुनि विचार करधर सीता कर रुप की व्याख्या दूधाधारी मठ में आयोजित 119वां मारुति महायज्ञ की संध्या कालीन संगीतमय प्रवचन के दौरान कही। आज हवन प्रात: 6:30 बजे से नियत कार्यक्रमों के अनुसार यज्ञवेदी पर हवन प्रारम्भ है। इस अवसर पर राजेरी महंत डॉ. रामसुन्दर दास, सत्यनारायण शर्मा, पं. आचार्य कृष्णवल्लभ शर्मा, सुनील शर्मा, अजय तिवारी, सुरेश शुक्ला, चरण शर्मा एवं योगेन्द्र वशिष्ठ, दुर्ग से आये ताहिर खान, रवि शुक्ला, बलौदाबाजार से प्रवचनकर्ता सुरेन्द्र शर्मा, सरायपाली बसना से पूर्व विधायक देवेन्द्र बहादुर सिंह, विकास उपाध्याय आदि विशेष रुप से उपस्थित रहे।


