जानें मौद्रिक नीति की मुख्य बातें
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज संपन्न तीन दिवसीय दूसरी द्विमासिक सीमक्षा बैठक में नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती की गयी

मुंबई । रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की आज संपन्न तीन दिवसीय दूसरी द्विमासिक सीमक्षा बैठक में नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती की गयी।
समिति द्वारा लिये गये निर्णयों की मुख्य बातें इस प्रकार हैं :-
- -रेपाे दर छह प्रतिशत से घटाकर 5.75 प्रतिशत
- -रिवर्स रेपाे दर 5.75 प्रतिशत से घटाकर 5.50 प्रतिशत
- -बैंक दर 6.25 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत
- -मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी (एमएसएफ) 6.25 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत
- -नकद आरक्षित अनुपात चार प्रतिशत पर यथावत
- -वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 19.25 प्रतिशत
- -चालू वित्त वर्ष के विकास अनुमान को कम कर सात प्रतिशत किया
- -चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महँगाई अनुमान बढ़ाकर तीन प्रतिशत से 3.1 प्रतिशत के बीच रहने तथा दूसरी छमाही में इसके घटकर 3.4 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद जताई गयी है।
- -आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये लेनदेन को शुल्क मुक्त करने का फैसला
- -चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक बैठक 05 से 07 अगस्त को
समिति ने कहा कि वर्ष 2018-19 की अंतिम तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महँगाई उनके अनुमान के अनुरूप रही है। हालाँकि अब खाद्य पदार्थाें की कीमतों में तेजी आने लगी है जिससे चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महँगाई में बढ़ोतरी होने और दूसरी छमाही में नरमी आने की संभावना है। अप्रैल में समिति ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महँगाई के 2.9 प्रतिशत से तीन प्रतिशत के बीच और दूसरी छमाही में 3.5 प्रतिशत से 3.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया था, लेकिन अब इसको संशोधित करते हुये पहली छमाही में इसके तीन फीसदी से 3.1 फीसदी के बीच और दूसरी छमाही में 3.4 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया है।
समिति ने आर्थिक गतिविधियों में आयी सुस्ती के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि अनुमान में कमी की है। अप्रैल में समिति ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने तथा पहली छमाही में इसके 6.8 प्रतिशत से 7.1 प्रतिशत के बीच और दूसरी छमाही में 7.3 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया था। लेकिन, अब इसको संशोधित करते हुये चालू वित्त वर्ष में विकास दर के सात प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है। इसी के अनुरूप पहली छमाही में इसके 6.4 प्रतिशत से 6.7 प्रतिशत तक और दूसरी छमाही में 7.2 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। समिति की अब तीसरी द्विमासिक समीक्षा बैठक 05 से 07 अगस्त तक होगी।
समिति की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि फरवरी और अप्रैल में कुल मिलाकर की गयी आधी फीसदी की कटौती से तंत्र में तरलता बढ़ी है, लेकिन अप्रैल और मई महीने में सरकारी व्यय में कमी आने के कारण तरलता में कमी आयी थी। जून महीने में अब तक तंत्र में अतिशेष तरलता का दैनिक औसत 66 हजार करोड़ रुपये है।
उल्लेखनीय है कि आम चुनाव के कारण अचार संहिता लागू होेने से सरकारी व्यय में कमी आयी थी। वर्ष 2018-19 में आर्थिक गतिविधियों में भारी कमी आयी और इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर गिरकर 6.8 प्रतिशत पर आ गयी। इस वर्ष मार्च में समाप्त तिमाही में तो जीडीपी वृद्धि गिरकर 5.8 प्रतिशत पर आ गयी। वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर भी 45 वर्ष के उच्चतम स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुँच गयी।
आर्थिक गतिविधियों में आयी सुस्ती के मद्देनजर रिजर्व बैंक पर निजी निवेश में तेजी लाने के लिए पूँजी लागत कम करने का दबाव था। महँगाई अब तक रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे में है, लेकिन जीडीपी वृद्धि में सुस्ती आ गयी है जिससे विनिर्माण अौर रोजगार हर क्षेत्र में शिथिलता आ गयी है।
समिति ने कहा कि फरवरी और अप्रैल में नीतिगत दरों में की गयी कुल आधी फीसदी की कटौती से भारतीय मुद्रा में ऋण पर ब्याज में औसतन 21 आधार अंक की कमी आनी चाहिये। हालाँकि इस दौरान पुराने ऋण पर ब्याज में चार आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई क्योंकि पुराने ऋण ऊँची दरों पर दिये गये थे।


