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बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर देने से चुनाव की निष्पक्षता कहां रहेगी: अभिषेक मनु सिंघवी

कांग्रेस ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुये फिर कहा है कि मांगे गये दस्तावेजों के अभाव में यदि बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर दिया गया तो निष्पक्ष चुनाव कैसे हो पायेंगे

बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर देने से चुनाव की निष्पक्षता कहां रहेगी: अभिषेक मनु सिंघवी
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने चुनाव आयोग की मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुये फिर कहा है कि मांगे गये दस्तावेजों के अभाव में यदि बड़ी संख्या में मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर दिया गया तो निष्पक्ष चुनाव कैसे हो पायेंगे।

कांग्रेस नेता एवं उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शनिवार को यहां संवादाताओं से कहा कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान मतदाताओं से मांगे गये दस्तावेजों के अभाव में यदि बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालने से वंचित कर दिये गये तो चुनाव की निष्पक्षता कैसे रह पायेगी? उन्होंने कहा कि दस्तावेजों के अभाव में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम कटने से चुनाव में अपने प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर सबको कैसे दिया जा सकेगा?

उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया पर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई पर संतोष व्यक्त करते हुये कहा कि न्यायालय के रुख से स्पष्ट है कि इस मामले में इंडिया गठबंधन जीत हुई है।

चुनाव आयोग ने कहा , “ साल 2003 से पहले जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में हैं, हम उनके नाम सूची से नहीं हटायेंगे लेकिन 2003 के बाद मतदाता सूची में जिनके नाम जुड़े हैं, हर उस मतदाता को 'संदिग्ध श्रेणी ' में डाल दिया जायेगा । ”

श्री सिंघवी ने कहा कि2003 की मतदाता सूची के बाद इससे जुड़े लोगों को तीन श्रेणी में बांटा गया है। इन लोगों को कुछ दस्तावेज देने होंगे, तभी वे मतदाता रह पायेंगे। ये श्रेणी इस प्रकार है....पहली श्रेणी: व्यक्ति को खुद का जन्म प्रमाणपत्र देना होगा। दूसरी श्रेणी.. व्यक्ति को अपना या माता-पिता में किसी एक का जन्म प्रमाणपत्र देना होगा और तीसरी श्रेणी.... व्यक्ति को अपना और अपने माता-पिता दोनों का जन्म प्रमाणपत्र देना होगा।

उन्होंने कहा कि बिहार में लगभग आठ करोड़ मतदाता हैं और अगर दो करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिये जाते हैं, तो चुनाव निष्पक्ष कैसे होगा?

गौरतलब है कि बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले में उच्चतम न्यायालय में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।


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