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आतंकवाद प्रायोजित पाकिस्तान का वैश्विक मंचों पर होना चाहिए बहिष्कार : मनीषा कायंदे

शिवसेना प्रवक्ता डॉ. मनीषा कायंदे ने ब्रिक्स नेताओं द्वारा पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने पर कहा कि ऐसे आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश को हर उस जगह से अलग-थलग कर दिया जाना चाहिए, जहां वे सदस्य हैं

आतंकवाद प्रायोजित पाकिस्तान का वैश्विक मंचों पर होना चाहिए बहिष्कार : मनीषा कायंदे
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मुंबई। शिवसेना प्रवक्ता डॉ. मनीषा कायंदे ने ब्रिक्स नेताओं द्वारा पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने पर कहा कि ऐसे आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देश को हर उस जगह से अलग-थलग कर दिया जाना चाहिए, जहां वे सदस्य हैं। जहां भी पाकिस्तान सदस्य है, उसका बहिष्कार किया जाना चाहिए। उनके उद्योगों और व्यवसायों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए और आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयास किए जाने चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि यह स्वागत की बात है कि सभी देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की है। आतंकवाद का शिकार सिर्फ भारत नहीं हैं, बहुत सारे देश हैं, जो आतंकवाद से जूझ रहे हैं। आतंकवादियों को प्रायोजित करने वाले देश को सभी जगह से बेदखल करना चाहिए। सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करना चाहिए ताकि आतंकवाद को मिटाया जाए। उसे जड़ से उखाड़ फेंका जाए। पहलगाम हमले के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने जवाबी कार्रवाई की है और पाकिस्तान को आंतकवाद के नाम पर बेनकाब किया है। संसद सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने अलग-अलग देशों का दौरा किया और पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवाद की पोल खोली।

मराठी भाषा विवाद पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि जिस प्रकार से उन्होंने कहा है कि हमारे बलबूते यहां का उद्योग धंधा चल रहा है। इस तरह की बात नहीं है। महाराष्ट्र की भूमि में आप हैं तो निश्चित है, आपको मराठी आनी चाहिए, मगर बेवजह मारपीट करना, यह सही बात नहीं है। अगर कोई अब मराठी का अपमान करेगा, हमारी मातृभाषा का कोई अपमान करेगा, तो यह हम सहन नहीं करेंगे।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री संजय शिरसाट ने भी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा अनिवार्य है। सभी को इस पर गर्व और स्वाभिमान होना चाहिए। हम लोगों ने ये कभी नहीं कहा कि हिंदी अच्छी भाषा नहीं है। हम लोगों ने कहा कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाए। इस मामले को बेवजह मुद्दा बनाना उचित नहीं है। समाज में भाषा को लेकर विभेद पैदा करना उचित नहीं है।


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