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'स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस' : पटना में शिवाजी महाराज की प्रतिमा की मांग तेज

बिहार की राजधानी पटना के दीघा घाट मरीन ड्राइव पर रविवार को अलग ही नजारा देखने को मिला। राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आए लोगों ने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस' की स्थापना के लिए मां गंगा के समक्ष संकल्प लिया

स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस : पटना में शिवाजी महाराज की प्रतिमा की मांग तेज
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पटना। बिहार की राजधानी पटना के दीघा घाट मरीन ड्राइव पर रविवार को अलग ही नजारा देखने को मिला। राज्य के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में आए लोगों ने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस' की स्थापना के लिए मां गंगा के समक्ष संकल्प लिया।

मरीन ड्राइव पर उपस्थित लोगों ने एक स्वर में छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, प्रशासनिक दक्षता और किसान हित की नीतियों के प्रतीक स्वरूप ‘स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस’ की स्थापना की मांग रखी। वरिष्ठ भाजपा नेता और छत्रपति शिवाजी महाराज सामाजिक समरसता अभियान के संयोजक प्रणव प्रकाश के नेतृत्व में आयोजित इस रैली में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे।

अभियान के संयोजक समाजसेवी प्रणव प्रकाश ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में यादवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी शिवाजी के वंशजों की है। राज्य में करीब 5.8 प्रतिशत कुर्मी जाति के लोग हैं। शिवाजी महाराज महासंकल्प रैली का उद्देश्य सिर्फ प्रतिमा स्थापना की मांग नहीं है, बल्कि यह भारत के स्वाभिमान, सुशासन और किसानों की प्रतिष्ठा के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज के मूल्यों को जनमानस तक पहुंचाने का संकल्प भी है। यह प्रतिमा केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व की स्मृति नहीं, आज के भारत के लिए, जहां सुशासन, आत्मनिर्भरता और किसान हित सर्वोपरि हैं, उसके लिए प्रेरणास्रोत भी होगी।

उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापना अभियान में 20 अप्रैल को बिहारशरीफ के श्रम कल्याण मैदान में करीब 30 हजार समर्थकों ने एक साथ संकल्प लिया। इसी क्रम में दीघाघाट के समीप शिवाजी के करीब 10 हजार समर्थकों का जुटान हुआ और मां गंगा के सामने संकल्प लिया गया ताकि गगनचुंबी प्रतिमा स्थापना हो सके। छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और लोक कल्याणकारी राजा भी थे। आज के भारत में सुशासन की जो परिकल्पना की जाती है, उसकी नींव शिवाजी महाराज ने ही 17वीं शताब्दी में रख दी थी।

उन्होंने आगे कहा कि किसानों के लिए शिवाजी महाराज की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने किसानों को भूमि का अधिकार, सिंचाई की सुविधा, फसल की सुरक्षा और करों में रियायत दी थी।


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