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MP News: सीएम कार्यालय का नाम लेकर ठगी: एमपी के डिप्टी कलेक्टर से 2.95 लाख की साइबर ठगी

ग्वालियर के थाटीपुर क्षेत्र निवासी डिप्टी कलेक्टर अरविंद सिंह माहौर इस साइबर ठगी का शिकार हुए। ठग ने कई बार सीधे डिप्टी कलेक्टर को फोन करने की कोशिश की, लेकिन कॉल रिसीव नहीं होने पर उसने नया तरीका अपनाया।

MP News: सीएम कार्यालय का नाम लेकर ठगी: एमपी के डिप्टी कलेक्टर से 2.95 लाख की साइबर ठगी
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ग्वालियर : MP News: मध्य प्रदेश में साइबर ठगों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब प्रशासनिक अधिकारियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। ताजा मामला ग्वालियर का है, जहां एक डिप्टी कलेक्टर से मुख्यमंत्री कार्यालय का नाम लेकर 2.95 लाख रुपये की साइबर ठगी की गई। ठग ने बेहद शातिर तरीके से न केवल डिप्टी कलेक्टर को झांसे में लिया, बल्कि मुरैना के तत्कालीन कलेक्टर को भी अपनी बातों में उलझा दिया।

सीएम कार्यालय का कर्मचारी बनकर किया फोन

ग्वालियर के थाटीपुर क्षेत्र निवासी डिप्टी कलेक्टर अरविंद सिंह माहौर इस साइबर ठगी का शिकार हुए। ठग ने कई बार सीधे डिप्टी कलेक्टर को फोन करने की कोशिश की, लेकिन कॉल रिसीव नहीं होने पर उसने नया तरीका अपनाया। उसने खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी बताते हुए मुरैना के तत्कालीन कलेक्टर अंकित अस्थाना को फोन किया और डिप्टी कलेक्टर से बात कराने को कहा। कलेक्टर कार्यालय से निर्देश मिलने पर डिप्टी कलेक्टर माहौर ने ठग से फोन पर बातचीत की। यहीं से ठगी की साजिश आगे बढ़ी।

विभागीय जांच समाप्त कराने का झांसा

दरअसल, डिप्टी कलेक्टर माहौर पर सितंबर माह में मुरैना जिले की सबलगढ़ तहसील में एसडीएम रहते हुए एक महिला और उसकी बेटी ने अभद्रता का आरोप लगाया था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर 19 सितंबर को उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

इसी निलंबन और विभागीय जांच का फायदा उठाते हुए साइबर ठग ने खुद को प्रभावशाली व्यक्ति बताते हुए माहौर को भरोसे में लिया। ठग ने कहा कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय से बोल रहा है और विभागीय जांच को समाप्त कराने में मदद कर सकता है।

पांच बार में ट्रांसफर कराए 2.95 लाख रुपये

डिप्टी कलेक्टर माहौर के अनुसार, ठग ने 19 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच पांच बार अलग-अलग खातों में पे-वॉलेट के जरिए रकम ट्रांसफर कराई। कुल मिलाकर 2 लाख 95 हजार रुपये की ठगी की गई। जब ठग ने एक बार फिर एक लाख रुपये की मांग की, तब माहौर को संदेह हुआ। इसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी जुटानी शुरू की और ठगी का अहसास हुआ।

निलंबन समाप्त होने के बाद दर्ज कराई एफआईआर

शनिवार को डिप्टी कलेक्टर अरविंद सिंह माहौर का निलंबन समाप्त कर दिया गया और उन्हें बहाल कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने साइबर ठगी के इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। ग्वालियर के एएसपी अनु बेनीवाल ने बताया कि ई-जीरो एफआईआर के तहत थाटीपुर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है। मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और साइबर सेल को भी इसमें लगाया गया है।

कलेक्टर भी झांसे में आए

डिप्टी कलेक्टर माहौर ने बताया कि ठग ने खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय का कर्मचारी अश्वनी बताते हुए मुरैना के तत्कालीन कलेक्टर को कॉल किया था। ठग की बातों से प्रभावित होकर कलेक्टर ने भी माहौर से बात करने को कहा था, जिससे ठग को भरोसेमंद माहौल मिल गया और वह अपनी साजिश में सफल हो गया।

साइबर ठगी पर चिंता बढ़ी

यह मामला दिखाता है कि साइबर ठग अब अधिकारियों की व्यक्तिगत और विभागीय कमजोरियों को निशाना बनाकर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी जांच या प्रशासनिक कार्रवाई को खत्म कराने के नाम पर पैसे मांगने की बात पर तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए और उच्च स्तर पर पुष्टि करनी चाहिए। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ठग ने किन खातों में पैसे ट्रांसफर कराए और उसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं।


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