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गुंडाराज और लूटराज हिमाचल सरकार की पहचान है : शहजाद पूनावाला

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं

गुंडाराज और लूटराज हिमाचल सरकार की पहचान है : शहजाद पूनावाला
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नई दिल्‍ली। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। एनएचएआई इंजीनियर के साथ मारपीट करना उन्हें भारी पड़ सकता है। इस मामले में भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि गुंडाराज और लूटराज सुक्खू सरकार की पहचान है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस ने हिमाचल में लूटराज के बाद अब गुंडाराज का प्रमाण दिया है और गुंडाराज और जंगल राज खुद उनके मंत्री स्थापित कर रहे हैं। अगर मंत्री खुद सरकारी ऑफिसर को लहूलुहान करेंगे तो कानून व्यवस्था का क्या होगा। प्रदेश में पहली बार ऐसी गुंडागर्दी नहीं की जा रही है। इससे पहले हिमाचल की एक पुलिस ऑफिसर का तबादला इसलिए किया गया क्योंकि उसने हिमाचल में कांग्रेस के एमएलए की पत्‍नी के खिलाफ केस कर दिया।

उन्‍होंने राहुल गांधी से सवाल करते हुए कहा कि भारत जोड़ो यात्रा में आपके साथ चलने वाले मंत्री ने जो किया है, क्‍या यह मोहब्‍बत की दुकान है या ये गुंडों के भाईजान हैं।

उन्‍होंने कहा, "हिंदुओं का अपमान करना कांग्रेस की पहचान बन गई है। यह हिंदू विरोधी पार्टी है और अब जिन्ना की मुस्लिम लीग का नया संस्करण बन गई है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पहले भी 26/11 हमलों के लिए हिंदुओं को दोषी ठहराते हुए और समझौता विस्फोट में हिंदू आतंकवाद का आरोप लगाते हुए टिप्पणी की थी। उसी पैटर्न को जारी रखते हुए उन्होंने कहा है कि कांवड़ यात्रा से नफरत फैलती है। क्या किसी अन्य समुदाय के खिलाफ ऐसी टिप्पणी की जाएगी।"

शहजाद पूनावाला ने कहा कि अखिलेश हिंदुओं और संत समाज का अपमान करते रहे हैं। अखिलेश यादव ने साधु-संतों को टेबल के नीचे से पैसे लेने, मठाधीश को माफिया और राम‍चरितमानस पर गलत टिप्पणी की है। इन लोगों का मकसद है "हिंदू को दो गाली ताकि मिले वोट बैंक की ताली।"

एक सवाल के जवाब में शहजाद पूनावाला ने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने शायद, या तो मासूमियत से या बहुत चालाकी से, यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी में उनके पास पद तो है, लेकिन सत्ता नहीं है। उनके पास अध्यक्ष की उपाधि हो सकती है, लेकिन निर्णय लेने का अधिकार उनका नहीं है। केवल 'हाईकमान' ही निर्णय ले सकता है।"


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