पंजाब के पूर्व आइजी ने खुद को मारी गोली, अस्पताल में भर्ती; 12 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा
घटना के समय पूर्व आइजी चहल की पत्नी और इकलौता बेटा घर की दूसरी मंजिल में थे। साइबर ठगों के चहल को 'एफ-777 डीबीएस वेल्थ इक्विटी रिसर्च ग्रुप' नाम के एक वाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप से जोड़कर अपना शिकार बनाया।

पटियाला: Punjab News: 'डीजीपी साहब, एक पुलिस अधिकारी रहने के बावजूद मैं वाट्सएप और टेलिग्राम के माध्यम से साइबर ठगों का शिकार हो गया। मैंने मात्र दो महीने में ही अपने, दोस्तों व रिश्तेदारों के 8.10 करोड़ रुपये गंवा दिए। मुझे ठगा जा रहा है और मैं इसे समझ ही नहीं पाया। ऐसे में अब मेरे पास आत्महत्या ही एकमात्र रास्ता बचा है।' पंजाब के डीजीपी गौरव यादव को यह 12 पन्नों का नोट लिख और इसे दोस्तों व जानकारों को भेज इंडियन रिजर्व बटालियन (आइआरबी) से सेवानिवृत्त आइजी अमर सिंह चहल (Amar Singh Chahal) ने अपने घर पर गनमैन के सरकारी असलहे से खुद को गोली मार ली। सोमवार दोपहर इस घटना के बाद उन्हें तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
अपना शिकार बनाया
घटना के समय पूर्व आइजी चहल की पत्नी और इकलौता बेटा घर की दूसरी मंजिल में थे। साइबर ठगों के चहल को 'एफ-777 डीबीएस वेल्थ इक्विटी रिसर्च ग्रुप' नाम के एक वाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप से जोड़कर अपना शिकार बनाया। चहल के आत्महत्या के प्रयास और मौके से नोट मिलने की पुष्टि एसपी सिटी पलविंदर सिंह चीमा ने की है। उन्होंने कहा कि गोली किस हथियार से चली, यह अभी जांच का विषय है। नोट में चहल ने लिखा कि वह अक्टूबर 2025 के अंत में वाट्सएप और टेलीग्राम ग्रुप से जुड़े। उन्होंने नोट में अपने साथ हुई ठगी की विस्तार से जानकारी दी।
ग्रुप एडमिन ने खुद को डीबीएस बैंक से बताया जुड़ा
ग्रुप के एडमिन ने खुद को डीबीएस बैंक और डीबीएस वेल्थ मैनेजमेंट से जुड़ा बताया। ग्रुप में रोजाना शेयर बाजार पर विस्तृत विश्लेषण दिया जाता था। इसमें डीबीएस बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का फोटो और नाम का इस्तेमाल कर निवेशकों का भरोसा जीता गया। यह दावा किया गया कि संस्था भारत सरकार और सेबी के नियमों के तहत काम कर रही है और उनका उद्देश्य रिटेल निवेशकों को बड़ा मुनाफा दिलाना है।
फर्जी डिजिटल डैशबोर्ड में दिखाया जाता था मुनाफा
शुरुआती दिनों में केवल बाजार की जानकारी दी गई, जिससे ग्रुप की गतिविधियां पेशेवर और भरोसेमंद लगीं। इसके बाद चुनिंदा निवेशकों को ट्रेडिंग की अनुमति दी गई और एक फर्जी डिजिटल डैशबोर्ड उपलब्ध कराया गया, जिसमें रोजाना मुनाफा दिखाया जाता था। ठगों ने उनसे पहले कुछ शेयरों में सीमित निवेश कराया, जहां डैशबोर्ड पर पांच से सात प्रतिशत तक का फायदा दिखाया गया। इसके बाद उन्हें आइपीओ में पैसा लगाने को कहा गया। कहा गया कि ग्रुप के जरिए आवेदन करने पर डिस्काउंट रेट पर ज्यादा अलाटमेंट मिलेगा। इसके लिए निवेशकों से अतिरिक्त पैसा जमा कराया गया। चहल को बाद में शक हुआ कि जब बड़े संस्थागत निवेशकों को भी पूरी कीमत चुकानी पड़ती है, तो आम निवेशकों को छूट कैसे मिल सकती है। इस पर ग्रुप संचालकों ने जवाब दिया कि बड़े संस्थानों के लिए रेट हमेशा बातचीत से तय होते हैं। इसके बाद ग्रुप में ओटीसी ट्रेड शुरू कराया गया, जो बाजार बंद होने के बाद होता था। इसमें 30 से 40 प्रतिशत तक के मुनाफे का दावा किया गया।
सभी भुगतान बैंक ट्रांसफर के जरिए किए
नोट में चहल ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने सभी भुगतान बैंक ट्रांसफर के जरिए किए। एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और आइसीआइसीआइ बैंक के खातों से रकम भेजी गई। लाभार्थियों के खाते, बैंक नाम, खाता नंबर, आइएफएससी कोड, तारीखवार लेन-देन और पूरी चैट उनके मोबाइल फोन में सुरक्षित है। उन्होंने इन सभी दस्तावेजों की हार्ड कापी भी तैयार कर रखी थी, ताकि जांच में पूरा मनी ट्रेल सामने आ सके।
डीजीपी से विशेष जांच दल बनाने की अपील की
नोट में चहल ने डीजीपी से अपील की है कि इस पूरे मामले में एफआइआर दर्ज कर विशेष जांच दल बनाया जाए, ताकि इस अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी नेटवर्क को बेनकाब किया जा सके। उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा और कर्जदाताओं से राहत की भी गुहार लगाई है। नोट में उन्होंने साफ लिखा है कि इस हालत तक पहुंचने के लिए वह खुद भी जिम्मेदार हैं, लेकिन जिस तरह से संगठित तरीके से यह ठगी की गई, उससे आम आदमी पूरी तरह असहाय हो जाता है।
आंध्र प्रदेश में की गई ठगी का किया उल्लेख
चहल ने अपने नोट में दिसंबर में ही आंध्र प्रदेश में सामने आए एक ऐसे ही मामले का जिक्र भी किया, जहां एक 65 वर्षीय सेवानिवृत्त इंजीनियर से 1.28 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। उन्होंने अंदेशा जताया कि उनके साथ भी उसी गिरोह ने ठगी की है।
उधार लेकर दिए ढाई करोड़, अब मौत ही एकमात्र रास्ता
चहल के अनुसार दिसंबर की शुरुआत में जब उन्होंने अपनी रकम निकालने की कोशिश की उनसे पहले पंद्रह प्रतिशत सर्विस फीस, फिर मुनाफे पर तीन प्रतिशत टैक्स मांगा गया। उन्होंने दोस्तों से उधार पैसे लेकर ढाई करोड़ रुपये दिए लेकिन एक भी पैसा वापस नहीं मिला। बाद में कहा गया कि सालाना प्रीमियम मेंबरशिप फीस देनी होगी, फिर निकासी प्रक्रिया तेज करने के नाम पर निचले स्तर के कर्मचारियों को रिश्वत देने का सुझाव दिया गया। चहल ने लिखा कि उनसे लगातार नए-नए बहाने बनाकर धन मांगा जाता रहा। यह सब उनकी मूर्खता व लापरवाही के कारण हुआ। वह अपने दोस्तों, रिश्तेदारों यहां तक कि अपने स्वजन को चेहरा दिखाने के लायक नहीं बचे हैं। वह न तो ऐसी स्थिति में हैं कि उनका पैसा लौटा सकें। इस हालात में उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।


