चीन ने तैनात कीं 100 से ज्यादा आइसीबीएम मिसाइलें, 2027 तक ताइवान पर कब्जे की तैयारी; अमेरिकी का दावा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने मंगोलिया की सीमा के पास स्थित साइलो क्षेत्रों में 100 से अधिक ठोस ईंधन वाली डीएफ-31 श्रेणी की आइसीबीएम तैनात की हैं।

वाशिंगटन: चीन ने अपनी रणनीतिक सैन्य क्षमताओं को तेजी से विस्तार देते हुए तीन अलग-अलग क्षेत्रों में 100 से अधिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (आइसीबीएम) तैनात कर दी हैं। यह दावा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की एक मसौदा रिपोर्ट में किया गया है, जिसने बीजिंग की बढ़ती सैन्य महत्वाकांक्षाओं और हथियार नियंत्रण वार्ताओं से दूरी को उजागर किया है।
तेजी से आधुनिकीकरण और विस्तार
रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुनिया की अन्य परमाणु शक्तियों की तुलना में अपने हथियार भंडार का सबसे तेजी से आधुनिकीकरण और विस्तार कर रहा है। पेंटागन का कहना है कि उसे बीजिंग की ओर से हथियार नियंत्रण या व्यापक परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता को लेकर कोई खास रुचि दिखाई नहीं दे रही है।
मिसाइलों की तैनाती की पुख्ता रिपोर्ट
विशेष रूप से, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने मंगोलिया की सीमा के पास स्थित साइलो क्षेत्रों में 100 से अधिक ठोस ईंधन वाली डीएफ-31 श्रेणी की आइसीबीएम तैनात की हैं। इससे पहले पेंटागन ने इन साइलो क्षेत्रों के अस्तित्व की जानकारी तो दी थी, लेकिन उनमें मिसाइलों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया था। हालांकि, रिपोर्ट में इन मिसाइलों के संभावित लक्ष्यों का उल्लेख नहीं है और यह भी कहा गया है कि संसद में भेजे जाने से पहले इसमें बदलाव संभव है।
चीन के पास 600 से ज्यादा परमाणु हथियार
रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 तक चीन के परमाणु हथियारों की संख्या 600 से कुछ अधिक आंकी गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में उत्पादन की धीमी रफ्तार को दर्शाती है। इसके बावजूद, पेंटागन का अनुमान है कि चीन 2030 तक 1,000 से अधिक परमाणु हथियारों के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। चीन लगातार यह दोहराता रहा है कि उसकी परमाणु नीति आत्मरक्षा पर आधारित है और वह ‘पहले प्रयोग न करने’ के सिद्धांत का पालन करता है।
ताइवान के बहाने अमेरिका पर चीन की नजर
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन और रूस के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण योजना पर काम करने की संभावना जताई थी। वहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन 2027 तक ताइवान पर युद्ध लड़ने और जीतने की क्षमता हासिल करने की तैयारी कर रहा है। पेंटागन के अनुसार, बीजिंग ताइवान को बलपूर्वक अपने नियंत्रण में लेने के सैन्य विकल्पों को और परिष्कृत कर रहा है, जिसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी को चुनौती देने वाले दूरगामी हमले भी शामिल हो सकते हैं।


